अल्मोड़ा। यूं तो देवभूमि में कदम—कदम पर देवालय स्थित हैं जिनकी अपनी मान्यताएं हैं,लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जो समाज में काफी मान्यता रखते हैं कहानियों और मान्यताओं में इन मंदिरों को मानवकल्याण स्थल के रूप में देखा जाता है। इनमें से एक मंदिर है विंध्यवासिनी बानड़ी देवी मंदिर, जो अल्मोड़ा जनपद मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर विकासखंड लमगड़ा में सड़क मार्ग से डेढ़ किमी ऊंचाई पर स्थित है।
प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के बीच स्थापित इस मंदिर में भक्त पैदल चढ़ाई कर पौराणिक विंध्य वासनी बानडी देवी मंदिर पहुंचते है। इस मंदिर की खास विशेषता यह कि लोगों की मनोकामना पूरी होने पर भक्त नौ दिनों तक अखंड दिये जलाते है और माँ की आराधना करते है। मंदिर में नौ दिनों तक हजारो की संख्या में अनवरत दिये जलते है। माना जाता है कि देश का पहला देवी का अनूठा मंदिर है जहां इतनी मात्रा में भक्त अखण्ड दिये जलाते है।
अदभुत विंध्य वासनी बानडी देवी के इस मंदिर के श्रद्धालुओं का कहना है 14 वी शताब्दी चंद शासन काल में जब राजा माँ बाराही देवी से शक्ति रूपा देवी का विसर्जन करना भूल गए तब इस स्थान पर देवी ने राजा कहा कि तुम मुझे यहाँ पर स्थापित कर दो और देवी भगवती पिंड के तीन शक्ति रूप में विराजमान है तब से इस मंदिर में स्थानीय लोग माँ पूजा अर्चना करते है और मनोकामना पूरी होने अखंड दिये जलाकर माँ को प्रसन्न करते हैं।