कलयुग की जानकी सरकार से जारी पेंशन योजनाओं से महरूम

ललित मोहन गहतोड़ी काली कुमाऊं। विधवा, वृद्धा, असहाय, निर्धन एक महिला सिस्टम की लाचारी के चलते दर दर भीख मांगती फिर रही है। भीख मांगने…

ललित मोहन गहतोड़ी काली कुमाऊं। विधवा, वृद्धा, असहाय, निर्धन एक महिला सिस्टम की लाचारी के चलते दर दर भीख मांगती फिर रही है। भीख मांगने का कारण वह बताती हैं कि उसे सरकार की ओर से जारी योजनाओं का कोई लाभ अभी तक नहीं मिला है। पाई पाई को मोहताज जानकी के सामने भीख मांगने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा अब।

खून के आंशू रोती आंखें, मन अनगिनत शंकाओं से भयभीत, पेट में भूख के दर्द से ऐंठन, कपड़ों के नाम पर फटी वही पुरानी लुदगी, पैरों में टूटी फूटी चप्पल और चौथी अवस्था का भोलापन। यह है सामने खड़ी कलयुग की जानकी की कहानी।

कहानी बताते-बताते आंखों में आंशू डबडबा उठते हैं। शब्द खामोश निशब्दता छा जाती है बस इतना कह सकी जानकी, “माल (टनकपुर) घर और काली कुमाऊं गुमदेश मैत (मायका)। कोई एक पेंशन दिला दो बाबू”।