उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर उथल-पुथल मच गई है। राज्य के वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने अपने विवादित बयान के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश में सियासी पारा चढ़ गया है और कैबिनेट फेरबदल की चर्चाएं जोरों पर हैं। माना जा रहा है कि धामी मंत्रिमंडल में नए चेहरों को जगह मिल सकती है, जबकि कुछ पुराने मंत्रियों की छुट्टी भी हो सकती है।
राज्य में कैबिनेट विस्तार को लेकर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद यह मुद्दा फिर से सुर्खियों में आ गया है। साल 2022 में जब पुष्कर सिंह धामी ने दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब कैबिनेट के तीन पद रिक्त रखे गए थे। बाद में कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के निधन के बाद एक और पद खाली हो गया था। अब प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद मंत्रिमंडल में कुल पांच सीटें खाली हो गई हैं, जिससे नए विधायकों को मंत्री बनने का मौका मिल सकता है।
धामी सरकार में वर्तमान में सात कैबिनेट मंत्री कार्यरत हैं, जिनमें पौड़ी जिले से सतपाल महाराज और धन सिंह रावत, देहरादून से गणेश जोशी, टिहरी से सुबोध उनियाल, अल्मोड़ा से रेखा आर्या और रुद्रपुर से सौरभ बहुगुणा शामिल हैं। वहीं, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी स्वयं चंपावत से विधायक हैं। प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद देहरादून से मंत्री पद खाली हो गया है।
प्रदेश के उत्तरकाशी, हरिद्वार, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल, चमोली और रुद्रप्रयाग जिलों से कोई भी मंत्री नहीं है। ऐसे में माना जा रहा है कि इन जिलों से विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। बीजेपी नेतृत्व का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व विचार-विमर्श करेगा और हाईकमान के निर्देशों के बाद ही कैबिनेट में बदलाव किया जाएगा। प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे के बाद यह संभावना और मजबूत हो गई है कि उत्तराखंड में जल्द ही कैबिनेट विस्तार किया जा सकता है।