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कोसी बचाने वालों की नहीं पड़ी इस कूड़े पर नजर, कोसी नदी में डाला जा रहा सोमेश्वर कस्बे का पूरा कूड़ा,प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है लोग, सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है कोसी पुनर्जीवन अभियान पढ़े पूरी खबर

Newsdesk Uttranews
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अल्मोड़ा। देश में स्वच्छता मिशन के कार्यक्रम चल रहे हैं, अल्मोड़ा में कोसी नदी को जीवनदायिनी मान उसके उद्धार का प्रयास चल रहा है। लेकिन तहसील मुख्यालय सोमेश्वर दोनों अभियानों को मुंह चिढ़ा रहा है। यहां तेजी से नगर की शक्ल ले रहा पूरे कस्बे का कूड़ा नदीं में डाला जा रहा है। जिम्मेदार संस्थाएं चुप हैं। सरकारी संस्थाएं जागरूक नारेबाजी में व्यस्त है। और ​जीवनदायिनी अपने उदगम से 12 से 15 किमी दूरी पर ही जहरीली नदी में तब्दील की जा रही है। अस्सी फीसदी से अधिक कूड़ा प्लास्टिक है। दिन प्रतिदिन यहां कूड़ा भरते ही जा रहा है इन पर लगाम लगाने की फुर्सत न तो प्रशासन को है न ही जिलापंचायत को। तहसील प्रशासन का भी शायद यहां तक ध्यान नहीं गया है। लोगों का मानना है कि यह कूड़ा नदी को जहरीली कर रहा है। वहीं नगर में आने वाले पर्यटकों का स्वागत भी कूड़े के ढेर कर रहे हैं।
सोमेश्वर कस्बे से लगे पुल के पास ही लोगों ने अघोषित रूप से कूड़ा फैंकने का स्थल बना लिया है। लेकिन लोगों द्वारा लगातार कोसी नदी में कूड़ा फैंकने से नदी का स्वरूप खराब हो रहा है वहीं लोगों ​को पेयजल देने वाले नदी जिस तरह प्रदूषित हो रही है उससे कोसी पुनर्जीवन अभियान को भी धक्का लग रहा है। एक ओर मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजेक्ट कोसी को बचाने के लिए लाखों की संख्या में पौधे लगाए जा रहे हैं। अधिकारी व कर्मचारी इस क्षेत्र के लोगों को जागरुक कर रहे हैं। लेकिन दूसरी ओर कूड़े से इस नदी को पाटने की साजिश की जा रही है। लोगों का कहना है कि कोसी के उदगम क्षेत्र काटली से सोमेश्वर की

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दूरी करीब 15 से 18 किमी है। यानि एक प्रकार से यह नदी का उद्गम स्थल ही हुआ लेकिन यहां पर मानव निर्मित कूड़ा जिस तरह नदी को प्रदूषित कर रहा है उससे साफ है कि आगे जाकर नदी किस तरह का पानी लोगों को पिला रही है। क्योंकि अल्मोड़ा नगर और कई आस पास के ग्रामीण इस नदी का पानी पीने के लिए उपयोग में लाते हैं।
क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ता और जिलापंचायत सदस्य बालम भाकुनी ने कहा कि कोसी बचाने के लिए जिस प्रकार अभियान चलाए जा रहे हैं उसी तरह नदी को कूड़ा मुक्त करने का भी प्रयास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कूड़ा फैंकने वालों पर कोई नियंत्रण नहीं है। एक ओर प्रशासन के अधिकारी पौधरोपण से कोसी बचाने का अभियान चला रहें हैं वहीं तहसील प्रशासन की नाक के नीचे जीवनदायिनी कोसी नदी को कूड़े के ढेर में तब्दील करने की साजिश की जा रही है। उन्होंने इस प्रकार नदीं को प्रदूषित करने वालों पर ठोस कार्रवाई करने और कूड़ा निस्तारण की व्यव​स्था करने करने की भी मांग की है।

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