..तो एएनएम की लापरवाही से हुई थी नवजात शिशु की मौत, दो नवजात शिशुओं की मौत मामले में जांच समिति ने डीएम को सौंपी रिपोर्ट, पढ़े पूरी खबर

तो एएनएम की लापरवाही से हुई थी नवजात शिशु की मौत

डेस्क। बागेश्वर में इसी वर्ष मई व अगस्त माह में हुई दो शिशुओं की मौत मामले में समिति की ओर से डीएम को जांच आख्या सौंप दी गई है। एएनएम सेंटर भगरतोला में हुई नवजात की मौत मामले में एएनएम की घोर लापरवाही सामने आई है। जबकि दूसरे प्रकरण एएनएम लमचूला में हुई नवजात शिशु की मौत मामले में डॉक्टर व एएनएम की गलती परिलक्षित नहीं हुई है। लेकिन एएनएम की ओर से बैठक में गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए।

डीएम ने दोनों मामलों को गंभीरता से लेते हुए सीएमओ को निर्देशित किया है कि वह फील्ड स्टॉफ को ​कठोर दिशा निर्देश जारी करें ताकि भविष्य में इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृत्ति न हो।

गौरतलब है कि इसी वर्ष 25 जून को एएनएम लमचूला तथा 29 अगस्त को एएनएम भगरतोला में नवजात शिशु की मौत का मामला सामने आया था। दोनों प्रकरणों के सामने आने के बाद डीएम रंजना राजगुरु ने एसडीएम गरूड़ की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति का गठन किया गया था। जिसमें अपर मुख्य चिकित्साधिकारी एवं जिला कार्यक्रम अधिकारी सदस्य के रूप में नामित थें।

दोनों प्रकरणों की विस्तृत जांच के बाद समिति द्वारा डीएम को जांच आख्या सौंपी गई। जिसमें एएनएम सेंटर भगरतोला में हुई नवजात शिशु की मौत मामले में डीएम ने कहा कि इस प्रकरण में एएनएम द्वारा घोर लापरवाही की गई है क्योंकि गर्भवती महिला के बारे में जानकारी रखना एएनएम की मुख्य जिम्मेदारी है जो एएनएम द्वारा नही निभायी गई। एएनएम द्वारा गर्भवती महिलाओं की एलएमपी की तिथि गलत अंकित की गई है। साथ ही गर्भवती महिलाओं को आईएफए दिए जाने का अभिलेख में कोई अंकन नही किया गया हैं। साथ ही एएनएम द्वारा अंकित की गयी डिस्चार्ज की तिथि भी स्वास्थ केन्द्र के अभिलेखों से मिलान नही करती।

नवजात शिु हाई रिस्क पर था ऐसे में एएनएम की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण थी, कि वह उक्त प्रकरण पर विशेष ध्यान देते हुए जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य संबंधी सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए उनका स्पष्ट अभिलेखीकरण करते हुए प्रकरण पर गंभीरता को देखते हुए इस पर अतिरिक्त ध्यान देती जैसा कि पूर्व में भी निर्देषित किया जा चुका हैं, किंतु एएनएम द्वारा प्रकरण को गभीरता से न लेते हुए घोर लापरवाही की गयी। डीएम ने कहा कि उक्त प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए कर्मचारी आचरण नियमावली प्रावधानों के तहत एएनएम के कृत्यों की परिनिंदा की जाती है। तथा भविष्य के लिए सीएमओ को निर्देशित किया जाता हैं कि वे फील्ड स्टाॅफ को इस संबंध में कठोर दिश—निर्देश जारी करते हुए उक्त का परिपालन करना सुनिश्चित करें।

डीएम ने कहा​ कि प्ररकण में यह तथ्य भी सामने आया है कि बच्चे के अभिभावक बच्चें को हायर सेंटर नही ले गए। स्वास्थ विभाग की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए थी कि वे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अभिभावक को स्वास्थ एवं महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा संचालित विभिन्न स्वास्थ संबंधी योजनाओं के बारे में अवगत कराते हुए उन्हें हायर सेंटर ले जाना सुनिश्चित करते।

मामले में डीएम ने सीएमओ एवं डीपीओ बाल विकास को निर्देशित करते हुए कहा कि इस तरह के प्रकरणों की पुनरावृत्ति न हो इस संबंध में वह फील्ड स्टाॅफ को निर्देशित करें। साथ ही प्रकरण में जिला अस्पताल की भूमिका के संबंध में मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को उस दिन तैनात डाॅक्टर एवं नर्स आदि की उपस्थिति एवं उनके द्वारा नवजात बच्चों के परीक्षण आदि के संबंध में तत्काल रूप से अभिलेख प्रस्तुत करने को निर्देशित किया है।

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