नही रहे प्रखर पत्रकार चारू चन्द्र चंदोला

देहरादून। उत्तराखंड के प्रखर पत्रकार और वरिष्ठ साहित्यकार चारु चंद्र चंदोला का निधन हो गया है वह 13 अगस्त से दून अस्पताल में भर्ती थे।…

देहरादून। उत्तराखंड के प्रखर पत्रकार और वरिष्ठ साहित्यकार चारु चंद्र चंदोला का निधन हो गया है वह 13 अगस्त से दून अस्पताल में भर्ती थे।  शनिवार देर रात करीब 11.43 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। 13 अगस्त को ब्रेन हेमरेज के बाद उन्हे दून अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया था जहां वह पिछले पांच दिनों से जिंदगी की जंग लड़ रहे थे। चंदोला अपने पीछे पत्नी राजेश्वरी चंदोला बेटी सैफाली और साहित्या का भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।

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अपनी पत्रकारिता व कविताओं के माध्यम से व्यवस्था की कमियों पर तीखा व सीधा हमला करने वाले चंदोला जी का जन्म 22 सितम्बर 1938 को ” दि पाइन्स ” , लॉज रोड , मेमयोनगर , म्यॉमार ( पहले का नाम बर्मा ) में हुआ। चंदोला का बाल्यकाल पौड़ी जनपद के सुमाड़ी गांव में अपने मामा के घर पर बीता। यहीं उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा भी हुई। इसके बाद डीएवी पौड़ी से हाईस्कूल, ईविंग क्रिश्चियन कॉलेज, इलाहाबाद से इंटर और फर्ग्यूसन कॉलेज, पुणे से उन्होंने स्नातक किया। कई पत्र-पत्रिकाओं में अपनी सेवाएं देने के साथ चारु चंद्र चंदोला का साहित्य सृजन भी निरंतर जारी रहा। ‘अच्छी सांस’, ‘चलते-चलाते’, ‘उगने ने दो दूब’, ‘कुछ नहीं होगा’, ‘बिन्सरि’, ‘पौ’, ‘कविता में पहाड़’ आदि उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं। उन्होने अपने जीवन का लंबा समय नार्थ ईस्ट में बिताया।

उत्तराखण्ड की वर्तमान दशा और दिशा पर वह हमेशा चिंतनशील रहे। पिछले लगभग पॉच दशकों के देहरादून के ” गढ़वालायन ” , 18/12 – पटेल मार्ग नजदीक पंचायती मंदिर में अपने पैत्रिक आवास में रह रहे थे।

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चंदोला जी ने अपनी पत्रकारिता का सफर ” टाइम्स ऑफ इंडिया ” मुम्बई से शुरु किया . वे बतौर प्रशिक्षु पत्रकार ” टाइम्स ऑफ इंडिया ” में भर्ती हुए . उसके बाद मुम्बई के ” फ्री प्रेस जर्नल ” , ” पूना हेरल्ड ” ( पूना ) , पायनियर , स्वतंत्र भारत , नेशनल हेरल्ड ” , अमर उजाला ( मेरठ ) , युगवाणी आदि विभिन्न पत्र – पत्रकाओं के लिए पत्रकारिता की . वह पिछले पॉच दशकों से ” युगवाणी ” अखबार व पत्रिका के समन्वय सम्पादक थे।