सितारगंज और हरिद्वार के किसानों (farmers) को अल्मोड़ा में दिया गया बीजोत्पादन का प्रशिक्षण

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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में डी.बी.टी बायोटेक किसान परियोजना के अन्तर्गत ‘रबी फसलों का बीजोत्पादन’ विषय किसानों (farmers) को 3 दिन का प्रशिक्षण किया।

अल्मोड़ा, 12 फरवरी 2021- भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में डी.बी.टी बायोटेक किसान परियोजना के अन्तर्गत ‘रबी फसलों का बीजोत्पादन’ विषय किसानों (farmers) को 3 दिन का प्रशिक्षण किया।

हवालबाग प्रक्षेत्र में यह प्रशिक्षण  9 फरवरी से 11 फरवरी तक आयोजित किया। हेस्को देहरादून और अमन अल्मोड़ा के सहयोग से आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरिद्वार एवं सितारगंज , उधम सिंह नगर के 2 गाँवों से आये हुए 20 प्रशिक्षु कृषक, जिनमें 10 पुरूष एवं 10 कृषक महिलाओं ने भाग लिया।

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प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान रबी फसलों में बीजोत्पादन की सामान्य विधियां कृषकों को बताई गई गई। फसलों में गेहूं, विभिन्न सब्जी फसलें जैसे की मटर, शिमला मिर्च, टमाटर इत्यादि, दलहनी फसलें व तिलहनी फसलों में बीज उत्पादन की विधियां कृषकों के साथ साझा की गई।

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कृषकों को संस्थान के प्रक्षेत्र फार्म में चल रही विभिन्न रबी फसलों के बीज उत्पादन को व्यवहारिक रुप से देखने का मौका मिला और संबंधित विशेषज्ञों ने ना केवल उनकी कई शंकाओं का निदान किया वरन् इस बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी।


प्रशिक्षण के दौरान बीजोत्पादन में इस्तेमाल होने वाली अभियांत्रिकी तथा मशीनरी से भी कृषकों को अवगत कराया गया।

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इस संबंध में उन्नत सस्य क्रियाऐं,  बीज संसाधन की सामान्य विधियां एवं यांत्रिकी पर किसानों को न केवल व्याख्यानों की मदद से बताया गया अपितु इस संबंध में क्षेत्र में चल रही व्यवहारिक गतिविधियांं से अवगत करवाने हेतु प्रक्षेत्र भ्रमण भी करवाया गया।

सामान्य किसानी के अलावा आय बढ़ाने वाली उन्नत कृषि तकनीकें जैसे कि मशरूम उत्पादन और बे-मौसमी सब्जी उत्पादन के बारे में भी किसानों को बताया गया तथा संस्थान में इन पर चल रही गतिविधियों से अवगत कराया गया।

बीज उत्पादन तथा भंडारण के दौरान होने वाले रोगों तथा कीटों के बारे में किसानों (farmers) की विशेष रूचि होने के कारण ना केवल इन विषयों पर व्याख्यान प्रस्तुत किए गए अपितु संस्थान की रोगों/कीटों की रोकथाम के लिए बनाई गई उन्नत तकनीकों का भी कृषकों के मध्य प्रदर्शन किया गया।

इस प्रशिक्षण के दौरान बीज उत्पादन के क्षेत्र में किसानों (farmers) के लिए संभावनाएं और होने वाले फायदों से भी कृषकों को अवगत कराया गया।

विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा किसानों (farmers)की सहभागिता से होने वाले प्रमाणित बीज का उत्पादन  पहले से ही सितारगंज और बैलपड़ाव के कुछ गांवों में  कर रहा है, अतः इस संबंध में प्रशिक्षु कृषकों को देश में चल रहे विभिन्न सहभागिता बीज कार्यक्रमों के फायदों से अवगत कराया गया तथा इन कार्यक्रमों से जुड़कर लाभ कमाने के लिए आव्हान किया गया।

अल्मोड़ा वन प्रभाग के डी.एफ.ओ.महातिम यादव द्वारा “पर्वतीय कृषि में वन्य जीवों से नुकसान से बचाव हेतु विधिक सलाह एवं प्रबन्धन” विषय पर व्याख्यान दिया गया।

संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त ने कृषकों (farmers) से कृषि में उन्नत एवं वैज्ञानिक विधि को अपनाकर अपनी आय तथा क्षेत्रों की उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाने का आह्वान किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने संस्थान द्वारा पर्वतीय कृषि को नयी ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिये किये गये महत्वपूर्ण शोध कार्यों की जानकारी विस्तारपूर्वक दी।

कार्यक्रम के अन्त में कृषकों (farmers) से प्रशिक्षण तथा उनकी समस्याओं के विषय में खुला विचार-विमर्श हुआ तथा कृषकों की प्रतिक्रिया भी ली गयी।

प्रशिक्षण सफलतापूर्वक सम्पन्न करने वाले कृषकों (farmers) को संस्थान के निदेशक द्वारा प्रमाण-पत्र वितरित किये गये। कृषकों को प्रशिक्षण से संबंधित प्रशिक्षण पुस्तिका भी प्रदान की गयी। कृषक दल का नेतृत्व कर रहे हैस्को, देहरादून से जुड़े तकनीकी अधिकारी  मनमोहन सिंह नेगी ने प्रशिक्षण कार्यक्रम को शिक्षाप्रद, सूचनात्मक व कृषकों के लिये बहुत उपयोगी बताया।

कार्यक्रम का समन्वयन डॉ. रेनू जेठी एवं डॉ. नवीन चन्द्र गहत्याड़ी द्वारा की गया। प्रशिक्षण में संस्थान के निदेशक डॉ. लक्ष्मी कान्त, विभिन्न वैज्ञानिकों, डा. एन.के. हेडाऊ, डा. के.के. मिश्रा, डा. शेर सिंह, डा. दिबाकर महंता, डा. अनुराधा भारतीय, डा. गणेश वासुदेव, डा. जितेन्द्र कुमार, डा. राजशेखर तथा तकनीकी अधिकारियों नागेन्द्र पाठक, सचिन कुमार, जे.पी. गुप्ता तथा शिव सिंह ने विशेषज्ञ के तौर पर भाग लिया।

समापन समारोह में संस्थान के निदेशक डा. लक्ष्मीकांत, डा. जेएस बिष्ट, डा. रेनु जेठी, हेस्को देहरादून से मनमोहन नेगी, अमन अल्मोड़ा के समन्वय रघु तिवारी, नीलिमा भट्ट सहित कई विशेषज्ञ व प्रशिक्षणार्थी किसान मौजूद थे।

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