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अंतर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस के उपलक्ष्य में यहां जुटे हैं बदलते विश्व परिवेश में 11 राज्यों के वैज्ञानिक,हिमालयी विकास की चुनौतियों पर हो रहा है मंथन

Newsdesk Uttranews
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उत्तरा न्यूज अल्मोड़ा। गोविंद बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत विकास संस्थान, कोसी-कटारमल में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय पर्वत दिवस पर आयोजित हो रहे तीन दिवसीय सम्मेलन में 11 राज्यों के 30 केन्द्रों से आए 150 से अधिक प्रतिनिधियों द्वारा हिमालयी विकास की चुनौतियों पर मंथन की जा रहा है।

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दूसरे दिन तीन प्रमुख विषयों पर विचार-विमर्ष किया गया। प्रथम सत्र में हिमालय वनस्पती और जीव-जन्तु जैव विविधता पर बदलते परिदृष्य के तहत जैव विविधता के सतत उपयोग के साथ-साथ सुरक्षा सुनिष्चित करने की आवष्यकता जताई गई है। विषेषज्ञों ने जैव विविधता के संरक्षण और जीवन समर्थन मूल्यों और वैष्विक परिवर्तनों के परिणाम और जीवन और क्षेत्र के सतत विकास पर उनके निहितार्थ विचार-विमर्ष किया। सत्र के मुख्य प्रतिभागी जैड.एस.आई. के निदेषक डा. के. चन्द्रा, डा. एस.पी. गोयल, एमिरेटस वैज्ञानिक, डबल्यू.आई.आई., यषवीर भटनागर, नेचर कंजर्वेषन फाउन्डेषन इत्यादि थे।

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द्वितीय सत्र हिमालय की कृषि पर आधारित था।  मुख्य चर्चा बदलती जलवायु की परिवर्तनषीलता के तहत बढ़ती आबादी के भोजन उपलब्ध कराने की चुनौतियों से निबटने पर की गई।  इस सब में चर्चा का प्रमुख विषय पहाड़ो में जलवायु आघारित स्मार्ट कृषि के लिए तकनीकी हस्तक्षेप और लचीली कृषि के लिए नीति विकल्प अपनाना था। सत्र की अध्यक्षता  देहरादून से आए हुए डा. पीआर ओजस्वी, निदेशक प्रभारी, आईसीएआर-सेन्ट्रल साॅयल वाॅटर कन्जर्वेषन रिसर्च एण्ड ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट, डा. समीर चतुर्वेदी, पन्तनगर विष्वविद्यालय, डा. डीआर सेना, आईसीएआर-वीपीकेस, डा. वीएस मीना, आईसीएआर-वीपीकेस ने की।  इस दौरान एक पोस्टर प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया।

तृतीय सत्र में हिमालयी इकोतंत्र की पारिस्थितिकी सेवाओं पर विस्तृत चर्चा की गई।  इस सत्र के प्रमुख वक्ता प्रो. एस.पी. सिंह, इन्सा के वरिष्ठ वैज्ञानिक थे। इस सत्र में स्मिता चैधरी, आईसीमोड, नेपाल, डॉ. जी.सी.एस. नेगी, वरिष्ठ वैज्ञानिक, पर्यावरण संस्थान, डा. दिप्ति नायक, आई.आई,टी. रूड़की एवं दीपक झाझरिया, सीएयू, सिक्किम आदि ने हिमालयी पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं के प्रवाह और प्रबंधन को समझने के लिए पावर प्वाइन्ट के माध्यम से अपने षोध पत्र प्रस्तुत किए।
इस सम्मेलन के द्वितीय दिवस मे तीन साइड इवेंट भी आयोजित किए गए। पहले इवेंट में आईयूसीएन द्वारा भारतीय हिमालयी क्षेत्र में काम करते हुए सीखे गए सर्वोत्तम अभ्यासों को बढ़ावा देना, नीतिगत साधनों को मजबूत करना पर केन्द्रित रही। सत्र की अध्यक्षता डॉ. ए माओ, निदेशक, बीएसआई एवं चर्चा में  योगेश्वर,  भूपाल बिष्ट, चिराग द्वारा की गई। कार्यक्रम के पैनलिस्ट डॉ. आर.एस. रावल, निदेशक, पर्यावरण संस्थान, एस.पी. सिंह, डॉ. वरुण जोशी, आईयू, दिल्ली द्वारा किया गया।  

इसके अलावा एक विशेष सत्र आईसीमोड, काठमाण्डू, ने आयोजित किया। जिसमें ट्रांसबाउन्ड्री परिदृश्य कार्यक्रम विकसित करने तथा अनुभव और चुनौतियों को साझा करके क्रॉस लर्निंग के अवसर प्रदान करने पर चर्चा की गई। यह कार्यक्रम आईसीमोड, नेपाल द्वारा आयोजित किया गया। मुख्य वक्ता डॉ. एकलव्य शर्मा, आईसीआईएमओडी तथा डॉ. एन छेत्री, आईसीआईएमओड थे। सत्र की अध्यक्षता प्रो.एसपी सिंह, चिया, नैनीताल ने की।

एक अन्य सत्र में वन संसाधन और पादप जैव विविधता पर निमशी-टास्क फोर्स 3, डीएसटी, नई दिल्ली और नैटकाॅम- पर्यावरण संस्थान द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. आरएस रावल, निदेशक, पर्यावरण संस्थान, डॉ. जेसी कुनियाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक, पर्यावरण संस्थान, प्रो. ए. भट्टाचार्य, बीएसआईपी, लखनऊ द्वारा समन्वित है। पैनल चर्चा का नेतृत्व प्रो. एस.पी. सिंह, इन्सा के वरिष्ठ वैज्ञानिक,  उज्जवल घोष, आई.एफ.एस. (आईसीमोड, सिक्किम) शामिल थे।

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