हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाले ओयो के फाउंडर और सीईओ रितेश अग्रवाल ने एक ऐसी बात कही, जिसने सबका ध्यान खींच लिया। उन्होंने बताया कि वह आज भी अपने होटल्स के वॉशरूम साफ करते हैं। यह सुनकर भले ही किसी को हैरानी हो, लेकिन उनके अनुसार, यह उनकी एक्टिव रोल-मॉडलिंग स्ट्रैटेजी का हिस्सा है।
मुंबई टेक वीक के दूसरे एडिशन में 1 मार्च को बोलते हुए अग्रवाल ने कहा कि एक सफल उद्यमी बनने के लिए इंसान को अहंकार, शर्मिंदगी और डर जैसी भावनाओं से ऊपर उठना होगा। उन्होंने कहा कि जब कोई अपने काम को लेकर जुनूनी होता है, तो उसे कोई भी कार्य छोटा नहीं लगता। उनके अनुसार, बचपन से ही हमें यह नहीं सिखाया जाता कि काम का कोई दर्जा नहीं होता, बल्कि हमें यह सोचने पर मजबूर किया जाता है कि कुछ काम सिर्फ खास लोगों के लिए हैं और कुछ काम दूसरों को करने चाहिए। लेकिन असल में, सफलता उन्हीं को मिलती है जो हर काम को बराबरी से देखते हैं।
रितेश अग्रवाल ने 2013 में ओयो की नींव रखी थी, और आज उनकी कंपनी 80 से ज्यादा देशों में फैली हुई है, जिसमें 10 लाख से अधिक कमरे उपलब्ध हैं। उनका मानना है कि किसी भी व्यवसाय में सफलता पाने के लिए अपने काम के प्रति समर्पण जरूरी है। उन्होंने कहा कि असली सवाल यह है कि इंसान गर्व की तलाश में है या पैसे की। उनके लिए, असली उद्देश्य बड़ा असर पैदा करना है और यही वजह है कि वह अपने कर्मचारियों के साथ हर छोटे-बड़े काम में भाग लेते हैं।