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इस बैठक से लौटकर मिशन के नोडल अधिकारी इंजीनियर किरीट कुमार ने बताया कि जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान कोसी कटारमल की ओर से राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन की तीसरी निगरानी और अनुश्रवण कार्यशाला इस बार दिल्ली भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी में संपन्न की गई.
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जल संरक्षण की दिशा में जल अभ्यारण्य , धारा विकास, जलस्रोतों के संरक्षण, पर्वतीय जलविज्ञान, आदि क्षेत्रों में अध्ययन परिणामों और शोध प्रारूपों को व्यापक स्तर पर हिमालयी भू-भाग में जल संकट से जूझने वाले राज्यों में लागू करने की बात विषय विशेषज्ञों द्वारा कही गई. विषय विशेषज्ञों द्वारा परियोजना कार्याें के दौरा उत्पन्न डेटाबेस को भी संरक्षित और विभिन्न शोध अनुसंधानों में उपयोग करने की बात कही.
इस मूल्यांकन कार्यशाला और बौद्धिक सत्र में वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के अपर रवि अग्रवाल, संयुक्त सचिव अरविंद नौटियाल वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. वी.के गौड़, कर्नाटक से वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. जीके काड़ीकोटी, पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.के कोहली संस्थान के निदेशक डाॅ आरएस रावल, गुवाहाटी से एनआईडीपीआर के निदेशक डा0 आरएम पंत, पद्मश्री ललित पाण्डे, जेएनयू से प्रो. एपी डिमरी, कुमाऊ विश्वविद्यालय नैनीताल से डाॅ सी0सी0पंत, आईआईटी रूड़की से एसके मिश्रा, मंत्रालय से सलाहकार ललित कपूर, आईएआरआई से डाॅ डीसी उप्रेती, एससी गड़कोटी, डाॅ सोनाली बिष्ट, प्रो अरूण .के .सर्राफ, डाॅ एसके भरथरिया, प्रो0 वरूण जोशी, प्रो0 के. भटटाचार्य सहित विषय विशेषज्ञों ने परियोजनाओं का मूल्यंाकन किया।