श्रीशैलम सुरंग हादसे में बचाव कार्य जारी, ‘मार्कोस’ कमांडो संभालेंगे मोर्चा

नगरकुरनूल: श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन टनल की छत ढहने की घटना के बाद बचाव कार्य पांचवें दिन भी जारी है, लेकिन अब तक…

Rescue work continues in Srisailam tunnel accident, 'Marcos' commandos will take charge

नगरकुरनूल: श्रीशैलम सुरंग नहर परियोजना के निर्माणाधीन टनल की छत ढहने की घटना के बाद बचाव कार्य पांचवें दिन भी जारी है, लेकिन अब तक फंसे हुए आठ लोगों को बाहर निकालने में सफलता नहीं मिली है। इस चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान में अब भारतीय नौसेना की विशेष यूनिट ‘मार्कोस’ को शामिल किए जाने की तैयारी है। मार्कोस कमांडो विषम परिस्थितियों में समुद्री अभियानों के लिए जाने जाते हैं और उनकी तैनाती से लोगों को नई उम्मीद जगी है।

बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल की 34 सदस्यीय विशेष टीम मंगलवार को सुरंग के भीतर गई थी। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया और टनल बोरिंग मिशन तक पहुंचने की कोशिश की। सुरंग के अंदर मिट्टी और पानी का मिश्रण होने के कारण बचाव कार्य में भारी दिक्कतें आ रही हैं। टीम की जांच में पाया गया कि हादसे वाली जगह पर 70% मिट्टी और 30% पानी भरा हुआ है, जिससे वहां पैदल चलना भी लगभग असंभव हो गया है।


करीब 13.85 किलोमीटर लंबी सुरंग के आखिरी 40 मीटर हिस्से में बचाव कार्य बेहद कठिन हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब मिट्टी का घनत्व पानी से अधिक हो जाता है, तो उसमें शरीर को हिलाना भी मुश्किल हो जाता है। सेना और एनडीआरएफ की टीमों ने राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान और भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण संस्थान के साथ मिलकर स्थिति का गहन अध्ययन किया।
सुरंग के अंदर का वातावरण बेहद कठिन है।

वहां पर लगातार मिट्टी गिर रही है, चारों तरफ अंधेरा पसरा हुआ है और ऑक्सीजन की भारी कमी है। यहां तक कि बीएसएनएल और अन्य नेटवर्क भी सुरंग के भीतर काम नहीं कर रहे। आधुनिक कैमरे और उपकरण भी अंदर काम नहीं कर पा रहे हैं, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है। ड्रोन का उपयोग भी किया गया, लेकिन सुरंग के अंदरूनी हिस्से तक वह पहुंचने में नाकाम रहा।

बचाव कार्य को आसान बनाने के लिए सुरंग को चार हिस्सों में बांटा गया है। पहले हिस्से में 12 किलोमीटर की दूरी तक ट्रेन के जरिए पहुंचा जा सकता है, जबकि अगले हिस्से में 2.5 फीट तक पानी होने के कारण भारी मशीनों को ले जाना संभव नहीं है। तीसरे हिस्से में मिट्टी, कचरा और फंसी हुई उपकरणों की वजह से मुश्किलें बढ़ रही हैं। चौथे हिस्से में टनल बोरिंग मशीन और कटर मशीन कीचड़ में फंसी हुई है, और यही वह जगह है जहां फंसे लोगों के होने की संभावना जताई जा रही है।


भारतीय नौसेना के मार्कोस कमांडो आज से इस बचाव अभियान में उतर सकते हैं। यह विशेष बल जल, थल और वायु में किसी भी चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए प्रशिक्षित होता है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) भी इस अभियान में मार्कोस के साथ सहयोग करेगा। बीआरओ के लेफ्टिनेंट कर्नल हरिपाल सिंह अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंच चुके हैं।


सरकार ने बचाव अभियान की गति तेज करने के निर्देश दिए हैं। बचाव कार्य में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सिंगरेनी कोलियरीज, हाईवे अथॉरिटी, एनजीआरआई, जीएसआई, आईआईटी मद्रास समेत कई संस्थानों के विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। हालांकि, अब तक फंसे हुए लोगों का कोई सुराग नहीं मिल पाया है। बचाव अभियान के तहत अत्याधुनिक कैमरों और स्कैनिंग उपकरणों का भी इस्तेमाल किया गया, लेकिन वे भी इस कठिन परिस्थितियों में प्रभावी साबित नहीं हो पाए।

विशेषज्ञों का मानना है कि केवल मार्कोस जैसी अनुभवी और विशेष प्रशिक्षित टीम ही इस चुनौतीपूर्ण अभियान को सफल बना सकती है। इस स्थिति से निपटने के लिए बीआरओ और मार्कोस के 10 विशेषज्ञों की एक विशेष टीम बनाई गई है, जो जल्द ही बचाव अभियान को नई दिशा देगी।

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