डेस्क— एक अप्रत्याशित घटनाक्रम के तहत भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर पद से उर्जित पटेल ने अपना इस्तीफा दे दिया है। यह इस्तीफा इस समय आया है जब पांच राज्यों के चुनाव परिणाम आने वाले हैं। हालांकि इस वजह को लेकर को लेकर पटेल ने कहा है कि उन्होंने निजी कारणों के चलते इस्तीफा दिया है। उन्होंने आरबीआई में अपनी सेवाओं को सम्मानित महसूस करने वाला बताया। पटेल के इस कदम से आरबीआई की स्वायत्ता पर असर पड़ने की संभावना है, क्योंकि सरकार के पास एक तरह से केंद्रीय बैंक का पूरा नियंत्रण चला जाएगा। मालूम हो कि उर्जित पटेल और केंद्र सरकार के बीच पिछले दिनों केंद्रीय बैंक की स्वायत्तता के मसले पर टकराव की स्थिति पैदा हो गई थी। खबर आई कि वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक कानून की धारा सात को लागू करने पर विचार विमर्श शुरू कर दिया है। यह धारा सरकार को जनहित के मुद्दों पर रिजर्व बैंक गवर्नर को निर्देश देने का अधिकार देती है। दूसरी तरफ, यह बात भी आई कि सरकार रिजर्व बैंक से 3.60 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रही है, जिसका आरबीआई ने विरोध किया है। इन सब मुद्दों पर सरकार और उर्जित पटेल के बीच लगातार खटास की खबरें आती रहीं। इस खींचतान के बीच गवर्नर उर्जित पटेल ने 9 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इसके कुछ दिनों बाद ही आरबीआई की बोर्ड बैठक हुई और बताया गया कि उर्जित पटेल और सरकार के बीच जारी तनातनी खत्म हो गई है।