रवि चोपड़ा ने आल वेदर रोड के लिए बनी उच्चाधिकार निगरानी समिति के सदस्य पद से इस्तीफा दे दिया है। रवि चोपड़ा पीुल्स साइंस इस्टीट्यूट के पूर्व निदेशक रह चुके हैं। उत्च्चाधिकार प्राप्त समिति की आपत्तियों को दरकिनार करते हुऐ जब सुप्रीम कोर्ट मे सरकार ने इस परियोजना को रक्षा महत्व का बताते हुऐ अनुमति ले ली तो इसके बाद रवि चोपड़ा ने इस पद से इस्तीफा दे दिया।
रवि चोपड़ा के त्यागपत्र का उत्तराखण्ड लोक वाहिनी ने एक बैठक कर स्वागत किया। उनके त्यागपत्र पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड लोक वाहिनी ने सरकार से कहा कि खड़ी पहाड़ियों के आधार को काटकर आल वेदर रोड़ कभी टिकाऊ नही हो सकती। सवाल करते हुए कहा कि फिर भी सरकार इसकी चौड़ाई घटाने को क्यों तैयार नही है।
बताते चले कि उच्च हिमालयी क्षेत्रों मे विशाल पर्वतों को काटकर सरकार द्वारा आल वेदर रोड बनाई जा रही थी जिस पर उलोवा,नदी बचाओं आन्दोलन सहित कई सामाजिक संगठनों ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि एकदम खड़ी पहाड़ियो और उन पर उगे पेड़ो को काटकर अगर मलबा नदियों मे जाता रहा तो 2013 व 2021 जैसी प्राकृतिक आपदाओं का फिर से सामना करना पड़ सकता हैं।
सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जाने के बाद कोर्ट ने रवि चोपड़ा को उच्चाधिकार निगरानी समिति का अध्यक्ष बनाया था। अदालत में लम्बी बहस के बाद सरकार ने सड़क को रक्षा महत्व का बताया।
इस मामले में फैसला सरकार के पक्ष मे चला गया था। रवि चोपड़ा कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सड़क को बारह मीटर चौड़ाई मे काटने के लिये पहाड़ का भारी कटान हो रहा है और सड़क को छ: मीटर चौडाई मे काटा जा सकता है जिससे रक्षा महत्व व पहाड़ की सुरक्षा दोनो ही पहलुओं से देखना चाहिये। फैसला आने के बाद रवि चोपड़ा द्वारा दिये त्यागपत्र पर उलोवा नेताओं ने इसका स्वागत किया। वाहिनी की बैठक में जगत रौतेला, रेवती बिष्ट,दयाकृष्ण काण्डपाल ,जंगबहादुर थापा,पूरन चन्द्र तिवारी,अजयमित्र सिह बिष्ट,कुणाल तिवारी,अजय मेहता,हारिस मोहम्मद आदि शामिल रहे।