प्रतियोगिता में देश का प्रतिनिधित्व करेगी गरिमा (Garima)
द्वाराहाट विकासखंड के छतगुल्ला निवासी गरिमा (Garima) जोशी बचपन से ही खेलों में अव्वल रही। वर्ष 2018 में बंगलुरू में में मैराथन दौड़ का अभ्यास कर रही थी। इसी दौरान तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी, जिसमें गरिमा (Garima) जोशी बुरी तरह से घायल हो गई। उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई और पैरों ने काम करना बंद कर दिया। उपचार के बाद अभी तक व्हीलचेयर के सहारे चहलकदमी करने वाली हिम्मती गरिमा (Garima) का लगाव अभी भी खेलों से कम नहीं हुआ है।
धाविका गरिमा (Garima) का चयन अब 2022 में प्रस्तावित पैरालंपिक खेलों (Paralympic) के तहत बास्केट बॉल प्रतियोगिता के लिए हुआ है। पिछले दिनों कर्नाटक में पैरालंपिक खेलों के लिए चयन प्रक्रिया आयोजित की गई। ट्रायल में देश भर से कई खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। जहां धाविका गरिमा (Garima) जगह बनाने में कामयाब हुई। उनके पिता पूरन जोशी ने कहा इन दिनों वह पैरालंपिक खेलों के लिए बंग्लुरू में अभ्यास कर रही हैं।
उत्तराखंड की यह होनहार खिलाड़ी ने खेलों में महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल कर चुकी है। 2014 में केंद्रीय विद्यालय संगठन दून की राज्य मैराथन प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक विजेता रहीं। उसके बाद अहमदाबाद में राष्ट्रीय मैराथन में स्वर्ण पदक जीता। 2016 में दून हाफ मैराथन में द्वितीय स्थान प्राप्त करने के बाद 2017 में पंजाब मैराथन में प्रथम स्थान हासिल किया। 2018 में अंतरराष्ट्रीय मैराथन में टॉप छह खिलाड़ियों में चयनित हुई। इसी साल व्हील चेयर दौड़ में दूसरा स्थान पाया।
2019 में दिल्ली सफदरजंग अस्पताल की व्हीलचेयर मैराथन में द्वितीय तथा 500 मीटर वर्ग में प्रथम स्थान हासिल किया। इसके बाद 2019 में ही हरियाणा राज्य ने उन्हें अपनी व्हील चेयर बास्केटबॉल टीम का कप्तान बनाया। मोहाली में संपन्न छठी राष्ट्रीय व्हील चेयर बास्केटबॉल प्रतियोगिता में टीम कैप्टन गरिमा (Garima) को बेस्ट न्यू कमर फिमेल खिलाड़ी के सम्मान से नवाजा गया।
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