उत्तराखंड के राज्य आंदोलनकारी डॉ शमशेर सिंह बिष्ट का निधन 

अल्मोड़ा। वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक, प्रखर वक्ता और उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी डॉ शमशेर सिंह बिष्ट का निधन हो गया है। वह 69 वर्ष के थे और…

dr shamsher singh bisht

अल्मोड़ा। वरिष्ठ पत्रकार, चिंतक, प्रखर वक्ता और उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी डॉ शमशेर सिंह बिष्ट का निधन हो गया है। वह 69 वर्ष के थे और पिछले 4 वर्षो से शुगर और गुर्दे की तकलीफ के कारण अस्वस्थ चल रहे थे। एम्स से आपरेशन के बाद  वह घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रहे थे। डॉ बिष्ट के चले जाने से राज्य आंदोलनकारी व देश विदेश के सामाजिक राजनैतिक कार्यकर्ता स्तब्ध है। डॉ बिष्ट ने 22 सितंबर की सुबह 4 बजे अंतिम सांस ली। डॉ बिष्ट विश्वविद्यालय आंदोलन, नशा नही रोजगार दो आंदोलन, चिपको आंदोलन, राज्य आंदोलन के अगुवा रहे। नशा नही रोजगार दो आंदोलन में वह 40 दिन जेल में रहे। जंगलों की नीलामी के खिलाफ 27  नवंबर 1977 को नैनीताल में हुए प्रदर्शन में वह आगे रहे इस प्रदर्शन के बाद रहस्यमय तरीके से नैनीताल क्लब जलकर खाक हो गया था। जब पौड़ी में जुझारू पत्रकार उमेश डोभाल की हत्या हुई तो पौड़ी से लेकर दिल्ली तक शराब माफिया मनमोहन सिंह नेगी का खौफ था और कोई भी मनमोहन के खिलाफ बोल नही रहा था। ऐेसे में अल्मोड़ा से डॉ  शमशेर सिंह बिष्ट और रघु तिवारी ने आकर खौफ के सन्नाटे को तोडते हुए पौड़ी की सड़कों पर मनमोहन के खिलाफ नारे लगाये और उमेश डोभाल के हत्यारों को पकड़ने के लिये आंदोलन को तेज किया। यह उनका रणनीतिक कौशल ही था कि राज्य आंदोलन की लड़ाई के दौरान अल्मोड़़ा में उन्होने सर्वदलीय संघर्ष समिति के बैनर तले सभी ताकतो को एक मंच पर एकत्रित कर दिया था। उनके साथी रहे वरिष्ठ पत्रकार व आंदोलनकारी पीसी तिवारी ने कहा कि डॉ बिष्ट के निधन से राज्य ने अपना एक हितैषी खो दिया है। वह एक ऐसी शख्ससियत थे जो कि सत्ता के दमन से कभी नही डरे और हमेशा जनता के पक्ष में आवाज बुलंद करते रहे। कहा कि उन्होने कभी भी अपनी विचारधारा से समझौता नही किया वह चाहते तो किसी भी राष्ट्रीय पार्टी में शामिल होकर एमपी, एमएएलए बन सकते थे लेकिन कभी भी विचारो से समझौता नही किया। उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान से सुबह 11 बजे से शुरू होगीं। उत्तरा न्यूज परिवार डॉ बिष्ट के निधन पर गहरी शोक संवेदना व्यक्त करता है।