अल्मोड़ा: नैनीताल और अल्मोड़ा जिले की सीमा पर स्थित क्वारब लोगों की परेशानी बन गया है।
नए पुल से लगे पूरी पहाड़ी डेंजर जोन में तब्दील हो गई है। किसी भी प्रकार की अनहोनी से बचने को रात में यातायात बंद है, लेकिन इस सड़क का क्या भविष्य होगा, कब तक लोगों को पहाड़ दरकने से मलबा समेत बोल्डर गिरने के खतरे के बीच गुजरना हेगा और रात में बंद सड़क के खोले जाने के लिए सुबह तक का इंजजार करना होगा इसका जबाब किसी के पास नहीं है।
बीते वर्ष अगस्त माह से राष्ट्रीय राजमार्ग 109 बार-बार बंद हो रहा है, नवंबर के बाद से तो एक प्रकार से सड़क संवेदनशील ही है केवल उजाला होने के बाद वाहन चल पा रहे हैं और समय सीमा के अनुसार रात्रि में वाहनों का संचालन एक प्रकार से बंद है।
वर्तमान में अल्मोड़ा-हल्द्वानी राष्ट्रीय राजमार्ग 109 स्थित क्वारब एक डेंजर जोन बन गया है. प्रतिदिन पहाड़ से बड़े बोल्डर और मलबा गिर रहा है। इस क्षेत्र से गुजरना खतरे से खाली नहीं है। इसीलिए प्रशासन की ओर से इसे अब रात्रि 11 बजे से सुबह 6 बजे तक हल्के व भारी वाहनों के लिए पूरी तरह से प्रतिबंधित किया है।
हल्द्वानी-अल्मोड़ा हाईवे पर क्वारब की पहाड़ी से अगस्त से भूस्खलन के साथ सड़क के धंसने से आवाजाही बाधित हो गई थी। इस कारण यात्रियों को रानीखेत और शहरफाटक होते हुए अधिक किराया देकर अल्मोड़ा पिथौरागढ़ या बागेश्वर की ओर जाना पड़ रहा था। कई बार ऐसा मौका भी आया जब 10 दिन तक सड़क बंद रही शादियों के सीजन में लोग काफी परेशान रहे।
अब गर्मियों का सीजन आने वाला है लेकिन ना तो सड़क कब तक ठीक होगी यह पता है ना ही किसी वैकल्पिक मार्ग को तैयार किया गया है, यानि गर्मियों में पर्यटन सीजन में यात्रि और पर्यटक कितने परेशान होंगे इस बारे में ना तो विभागीय स्तर पर गंभीरता दिख रही है ना ही प्रशासन या सरकार स्तर पर। जबकि केन्द्रीय मंत्री अजय टम्टा यहीं सांसद है, प्रदेश में बीजेपी की सरकार है इसलिए समन्वय की दिक्कत भी नहीं होगी बावजूद महिनों बीत जाने के बावजूद सड़क को लेकर कोई सुखद सूचना नहीं आई है। हालांकि केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा कई बार प्रशासनिक टीम के साथ स्थलीय निरीक्षण कर चुके हैं।
अल्मोड़ा के विधायक मनोज तिवारी एक बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ पुल के समीप धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।
लोगों का मानना है कि सड़क पहाड़ को मैदान से जोड़ने की लाइफ लाइन है। कोई नजदीकी वैकल्पिक मार्ग नहीं होने से सड़क बंद होने की स्थिति में रानीखेत खैरना मार्ग या अल्मोड़ा लमगड़ा मार्ग की विकल्प है ऐसे में लंबी दूरी तय करना यात्रियों की मजबूरी है लेकिन पर्यटक सीजन में जब वाहनों की भीड़ बढ़ेगी तब जाम आदि की समस्याएं और परेशानियां खड़ी होंगी। जबकि।
कई बार चौसली-डोबा काकड़ीघाट, चौमू-कलसीवी मार्ग को तैयार करने की बात या मांग पर भी कार्रवाई नहीं हुई। इसके अलावा चाण बैंड लिंक मार्ग- शीतलाखेत-काकड़ीघाट मार्ग को भी तैयार करने की जरूरत है लेकिन इस प्रकार की दीर्घकालीन सोच पर अब तक कोई काम हुआ हो यह दिख नहीं रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता केशव कांडपाल ने कहा कि जिस प्रकार क्वारब की पहाड़ी डेंजर जोन में तब्दील हो गई है ऐसी स्थिति में वैकल्पिक मार्ग, वैकल्पिक पुल की व्यवस्था आज तक हो जानी चाहिए थी, आगामी वर्षाकाल में क्या मंजर होगा इसे सोचकर ही मन सहम जाता है, उन्होंने कहा कि सड़क की पहाड़ी संवेदनशील है कभी भी सड़क के अवरुद्ध होने की स्थिति आ सकती है ऐसे में आकस्मिक स्थिति में क्या होगा यह जरूरी है क्योंकि वर्तमान में भी वाहनों का आवागमन चुनौतीपूर्ण है। कभी भी मलवा या बोल्डर गिरने की स्थिति में मार्ग बंद हो सकता है या बंद करना पड़ सकता है। उन्होंने जल्द प्रशासन, जनप्रतिनिधियों व विभाग से इस प्रकरण पर जल्द कार्यवाही करने की मांग की है।