संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच सीटू व एक्टू ने दिया धरना protest, पीएम व सीएम को ज्ञापन भेजे

protect of trade unions actu and citu in almora अल्मोड़ा। संयुक्त ट्रेड यूनियंस मंच के आह्वान पर महंगाई, बेरोजगारी व अन्य मांगों को लेकर वामपंथी…

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अल्मोड़ा। संयुक्त ट्रेड यूनियंस मंच के आह्वान पर महंगाई, बेरोजगारी व अन्य मांगों को लेकर वामपंथी व ट्रेड यूनियनों ने 3 जून को प्रतिरोध दिवस protest मनाया। सीटू व एक्टू की अल्मोड़ा इकाईयों ने अलग-अलग धरना देकर विभिन्न मांगें उठाई और प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को मांगपत्र प्रेषित किए।

सेंटर आफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) की अल्मोड़ा इकाई ने कलेक्ट्रेट परिसर में धरना और इस मौके पर वक्ताओं ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कोविड-19 की आड़ में श्रम कानूनों को श्रम कोड में मजदूर विरोधी बदलाव कर रही है। जो श्रमिक हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि एक ओर आम लोग व मजदूर वर्ग महंगाई व बेरोजगारी से त्रस्त है, दूसरी तरफ सरकार विरोधी निर्णय ले रही है। जिससे आम जनमानस व मजदूर वर्ग में आक्रोश व्याप्त है। इन नीतियों का विरोध किया गया।

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इसके बाद जिला प्रशासन के माध्यम से प्रधानमंत्री को 12 सूत्रीय मांगपत्र भेजा गया। जिसमें सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने, बेरोजगारी रोकने के लिए श्रम कानूनों का कठोरता से पालन करवाने, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों, भोजन माता व अन्य योजना कर्मियों को नियमित करने, प्रवासी मजदूरों के लिए स्थाई रोजगार की व्यवस्था करने, मनरेगा के कार्य दिवस बढ़ाने और इसके लिए बजट उपलब्ध कराने व पुरानी पेंशन योजना बहाल करने समेत अन्य मांगें शामिल हैं।

धरने में सीटू नेता राजेंद्र प्रसाद जोशी, आनंदी मेहरा, नीमा जोशी, विजय लक्ष्मी, आयशा, इंद्रा भंडारी, चंपा पांडे, पदमा पांडे, सुनील जोशी, मोहन सिंह देवड़ी, हरीश चंद्र सनवाल, हेमा नगरकोटी, बबीता तिवारी आदि आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्तियां, ग्राम प्रहरी व अन्य मजूदर शामिल हुए।

उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन अल्मोड़ा (एक्टू) ने यहां चैघानपाटा में धरना दिया और प्रदर्शन किया। जिसमें आशाओं ने कहा कि कोरोनाकाल में आशाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और उन पर कार्यबोझ बढ़ा दिया है। मगर इसके लिए कोई भत्ता देय नहीं है। आशाओं को उनका मेहनताना देने से सरकार मुंह मोड़ रही है। कोरोना संबंधी कार्यों के लिए कोई सुविधा भी नहीं दे रही है।

उन्होंने आशाओं को निकालने की कार्यवाही या कोशिशों का भी विरोध किया। इसके बाद जिला प्रशासन के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भेजा गया जिसमें आशाओं को राज्य कर्मचारी घोषित करते हुए 18 हजार न्यूनतम वेतन देने, लाकडाउन भत्ता देने, बिना भत्ते के कार्यो को वापस लेने, आशाओं को निकालने की कार्यवाही पर शीघ्र विराम लगाने, सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन का प्रावधान करने, सुरक्षा प्रदान करने आदि कई मांगें शामिल हैं।

धरने में चंद्रावती भंडारी, ललिता, पूजा, मुन्नी देवी, रेखा बिष्ट, ममता बिष्ट, सरस्वती देवी, तारा चैहान, आशा लटवाल, अनीता सिंह, नंदी रौतेला, अनीता चैहान, दुर्गेश्वरी, हेमा बिष्ट, मीना देवी आदि शामिल थी।

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