उत्तराखण्ड में अब केवल टयूशन फीस (Tuition Fees) ही ले सकेंगे ​निजी स्कूल, आदेश किये गये जारी

देहरादून, 22 मई 2021 कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण उत्तराखण्ड में सभी विद्यालय बंद किये गये है। और बीते कल उत्तराखण्ड शासन ने स्कूलों…

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देहरादून, 22 मई 2021

कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण उत्तराखण्ड में सभी विद्यालय बंद किये गये है। और बीते कल उत्तराखण्ड शासन ने स्कूलों की फीस (Tuition Fees) के बारे में स्थिति साफ कर दी है। उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा के महानिदेशक विनय शंकर पाण्डे ने इस बाबत सभी जिलों के मुख्य शि​क्षा अधिकारियों को आदेश जारी कर दिये है।

आदेश में कहा गया है कि ” कोविड-19 की दूसरी लहर की रोकथाम के दृष्टिगत विद्यालय बंद रहने के फलस्वरूप निजी विद्यालयों के फीस भुगतान की प्रक्रिया के सम्बन्ध में निम्नलिखित निर्देश जारी किये गये हैं। मात्र ऑनलाइन / अन्य संचार माध्यमों से शिक्षण कराने वाले निजी विद्यालयों को विद्यालय बंद रहने की अवधि में मात्र शिक्षण शुल्क (Tuition Fees) लेने की अनुमति होगी, अन्य किसी प्रकार का शुल्क अभिभावकों से नहीं लिया जायेगा।”

आदेश में आगे कहा है कि ” ऑनलाईन / अन्य संचार माध्यमों से शिक्षण का लाभ लेने के बावजूद भी शुल्क देने में असमर्थ अभिभावक कारणों का उल्लेख करते हुये सम्बन्धित विद्यालय के प्रधानाचार्य / प्रबन्ध समिति से शुल्क जमा करने हेतु अतिरिक्त समय का अनुरोध कर सकते हैं। किसी भी परिस्थिति में छात्रों को शुल्क जमा करने में हुये विलम्ब के कारण विद्यालय से बाहर नहीं किया जायेगा। कोविड-19 के संक्रमण से रोकथाम हेतु विद्यालयों के बंद रहने के अवधि में सरकारी / अर्द्धसरकारी अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा नियमित रूप से वेतन प्राप्त करने एवं उनकी आजीविका में किसी भी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव न पड़ने के कारण ऑनलाईन / अन्य संचार माध्यमों से कक्षाओं का लाभ लेने के फलस्वरूप नियमित रूप से निर्धारित शिक्षण शुल्क (Tuition Fees) जमा करवाया जायेगा।”

आदेश में आगे लिखा है कि ”उक्त निर्देशों के बावजूद भी सज्ञान में आया है कि कतिपय निजी विद्यालयों द्वारा गत वर्षों में विभिन्न मदों (खेल, कम्प्यूटर आदि) में ली जाने वाली फीस को भी शिक्षण शुल्क (Tuition Fees) में म्मिलित कर अनुचित ढंग से शिक्षण शुल्क में वृद्धि कर ली गई है, जो उक्त निदेशों का उल्लंघन है।”

इसके आगे कहा गया है कि ”अत: निर्देशित किया जाता है कि तत्काल ऐसे विद्यालयों को चिन्हित कर जांच करें, जिनके द्वारा विभिन्न मदों के शुल्क को शिक्षण शुल्क में समाहित कर शिक्षण शुल्क लिया जा हा है तथा दोषी पाये जाने पर सम्बन्धित विद्यालयों के विरुद्ध कार्यवाही करते हुये सुस्पष्ट आख्या हस्ताक्षरी को उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करें।”

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