Electoral Bonds : एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कम से कम 30 फर्जी कंपनियों ने 143 करोड रुपए से अधिक के इलेक्टोरल बांड खरीद कर बीजेपी को चंदे के रूप में दिया है।
Electoral Bonds Details: इलेक्टोरल बांड को लेकर रोज़ नए-नए खुलासे हो रहे हैं। इलेक्टरल बॉन्ड पर रोक लगाने और इससे जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक करने के लिए कानून लड़ाई लड़ रहे याचिकाकर्ताओं ने शुक्रवार को बताया कि सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रही। 41 कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से बीजेपी को 2471 करोड रुपए दिए और इसमें से 1698 करोड रुपए इन एजेंसियां के छापे के बाद दिए गए हैं।
एक्सप्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रशांत भूषण ने कहा कि कम से कम 30 फर्जी कंपनयों ने 143 करोड रुपए से अधिक इलेक्टोरल बांड खरीद कर बीजेपी को चंदे के रूप में दे दिया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से 172 प्रमुख कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट हासिल करने वाले 33 कंपनियों ने भी चुनावी बांड के माध्यम से बीजेपी को दान दिया। प्रशांत भूषण ने बताया कि बीजेपी को इलेक्टोरल बांड के जरिए 1791 करोड रुपए का चंदा देने वाली इन 33 कंपनियों को सरकार की ओर से मिले प्रोजेक्ट और कॉन्ट्रैक्ट से कल 3.7 लाख करोड रुपए मिले हैं।
भूषण बोले- चार कैटेगरी में भ्रष्टाचार कर रही बीजेपी
प्रशांत भूषण का कहना है कि कल्पतरु समूह ने पिछले साल 3 अगस्त को आईटी विभाग की छापेमारी के 3 महीने के अंदर भाजपा को 5.5 करोड रुपए दिए थे। उन्होंने इलेक्टोरल बांड योजना को स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला बताया और कहा कि चार श्रेणियां में भाजपा घोटाले कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘पहला है- चंदा दो, धंधा लो. दूसरा है- हफ्ता-वसूली (जबरन वसूली), तीसरा है ठेका लो, रिश्वत दो और चौथा है- फर्जी कंपनी.’’
‘इलेक्टोरल बॉन्ड से किए गए भ्रष्टाचार की जांच के लिए हो SIT का गठन’
इस मामले में याचिका डालने वाली और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने स्वतंत्र जांच की मांग की है। उन्होंने कहा जांचकर्ता की जांच कौन करेगा? इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से किए गए भ्रष्टाचार की जांच के लिए एक स्वतंत्र एसआईटी का गठन किया जाना चाहिए।