Almora। अल्मोड़ा के पोखरखाली उप डाकघर में लाखों रुपये के गबन के मामले का भी तक खुलासा नहीं होने से विभाग की कार्य प्रणाली संदेह के घेरे मे है, 4 वर्ष का समय बीत जाने के बाद भी मामले से पर्दा नहीं हट सका है।
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गौरतलब है कि 4 वर्ष पूर्व Almora के पोखरखाली उप डाकघर में लाखो रूपये की जालसाजी का मामला सामने आई था पोखरखाली उप डाकघर से मामला सामने आया था। लम्बे समय से चल रहे इस गोरखधंधे का पता खाताधारको को तब चला जब वह अपने जमा धन की की मेच्युरिटी धनराशि निकालने पोखरखाली उप डाकघर में गये।
हालत यह थी कि कई खातों में पैंसा जमा ही नहीं था जबकि पासबुक में जमा दिखाया गया था ,तो कई ऐसे खातो से धनराशि तक निकाल ली थी। इस मामले में वहा तैनात एक महिलाकर्मी की भूमिका पर भी सवाल उठे।
हालाकि सुनी सुनाई पर यकीन करे तो सूत्र बताते है कि धोखाधड़ी का यह खेल लम्बे समय से चल रहा था, इसी बीच 2012 में पोखरखाली उप डाकघर को विकास भवन ट्रांसफर करने के आदेश जारी कर दिए गये , और फिर वर्ष 2012 में इस डाकखाने को विकास भवन स्थानांतरित किया जा रहा था तो स्थानीय लोगों से इसके खिलाफ आंदोलन कराया गया।
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अगर पोखरखाली उप डाकघर स्थानांतरित हो गया होता तो सबकी पोलपट्टी खुलनी तय थी , पासबुकों का सत्यापन होने से 2012 में ही गबन का पता चल सकता था। हालाँकि 2015 में मामले के उजागर होने के बाद विभाग ने जाँच के आदेश दिए थे। इस मामले में अभी तक 2 आत्महत्या के मामले सामने आ चुके है। एक अभिकर्ता को आत्म हत्या करनी पड़ी पड़ी इसके अलावा बार बार दस्तावेज चोरी होने की शिकायत करने वाले बचत बैंक नियंत्रण संगठन प्रभारी ने भी भी आत्महत्या कर ली थी ।
डाक कर्मी हुए मुखर , नार्को टेस्ट की मांग
डाक कर्मचारियों ने आज एसएसपी से मिलकर Almora पोखरखाली पोस्ट आफिस घोटाले में दोषी बताई जा रही महिला कर्मचारी का नार्को टेस्ट करने की मांग की। एसएसपी को ज्ञापन देने के साथ ही जिलाधिकारी और राष्ट्रपति को भी पंजीकृत डाक से ज्ञापन दिया गया है। ज्ञापन में गबन की आरोपी महिला का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है।
ज्ञापन में कहा गया है कि एक महिला इस मामले में आरोपी बताई जा रही है और जब 2012 में में डाकखाने को विकास भवन स्थानांतरित किया जा रहा था। तब साजिश रचकर स्थानीय लोगों से आंदोलन कराया गया। आगे कहा गया है कि अगर 2012 में पोखरखाली उप डाकघर विकास भवन ट्रांसफर हो गया होता तो तब ही घोटाला पकड़ा जाता।
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ज्ञापन में डाक कर्मचारियों ने कहा कि आरोपी महिला की राजनैतिक पकड़ के बावजूद मुकदमा दर्ज नहीं होना संदेह को जन्म देता है। जहा एक ओर आदेश के बाद भी मुकदमा नहीं किया गया वाही विभाग द्वारा अन्य कर्मचारियों से 55 लाख का गबन दिखाकर वसूली की जा रही है और उक्त महिला का मात्र 1 लाख 62 हजार रुपये का गबन दिखाया गया है।
कर्मचारियों ने कहा कि उक्त मामले में एक अभिकर्ता और एक कर्मचारी आत्महत्या कर चुके है।19 सूत्रीय ज्ञापन में न्यायालय को भी गुमराह करने का आरोप लगाया गया है।
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ज्ञापन देने वालों में अखिल भारतीय डाक कर्मचारी संघ के मंडलीय सचिव एनडी पांडे, देवेन्द्र सिंह, बीएस मर्तोलिया, नरेन्द्र साही, भवानी गुंजियाल, दीपेश चंद्र आर्या, आशुतोष प्रकाश जोशी, बीसी पंत, जीसी पांडे, भूपाल सिंह, जीके जोशी, रवि मेहता, गिरजा शंकर पांडे, क्षितिज टम्टा, स्वाति डंडरियाल, चद्र प्रकाश, निर्मल कुमार, रवि राज, मोहम्मद यूसुफ आदि शामिल रहे ।