अखिल विश्व अभी संकट में है(poem)
अखिल विश्व अभी संकट में है
सृष्टि के पग कंट्क मे है ।
ये पल चिन्तन करने का है
ये पल मंथन करने का है।
कैसे मानव जाति बचेगी
ऐसा सब कुछ करने का है।
जाति धर्म का भेद रहे ना राजनीति का द्वेष रहे ना
मंदिर मस्जिद गुरूद्वारा और गिरजाघर खेल रहे ना
ऐसा मिल कर करने का है।
यक्ष प्रश्न है ———-?
इस धरती पर किसने बोए शूल विषैले ,
वाहक उसका बना कौन है
मौत बांटने कौन चला है।
यक्ष प्रश्न है पांडव बनकर —
इसको तो हल करना होगा ।
अखिल विश्व अभी संकट मे है !!!
-नवीन बिष्ट अल्मोड़ा
कवि वरिष्ठ पत्रकार हैं