पिथौरागढ़ में छात्र संघ की नई पहल : पुस्तक मेले के माध्यम से पढ़ने और पढ़ाने की संस्कृति शुरू करने का प्रयास

पिथौरागढ़ का लघु पुस्तक मेला : एक रिपोर्ट तरुण पन्त पिथौरागढ़। दिनांक 29 और 30 अक्टूबर को महाविद्यालय पिथौरागढ़ में ‘आरंभ स्टडी सर्किल ‘ और…

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पिथौरागढ़ का लघु पुस्तक मेला : एक रिपोर्ट

तरुण पन्त

पिथौरागढ़। दिनांक 29 और 30 अक्टूबर को महाविद्यालय पिथौरागढ़ में ‘आरंभ स्टडी सर्किल ‘ और छात्रसंघ के संयुक्त प्रयास से पहली बार दो दिवसीय ‘लघु पुस्तक मेला’ का आयोजन किया गया। पुस्तक मेले में गार्गी प्रकाशन, राजकमल प्रकाशन समूह, राजपाल पब्लिकेशन, सस्ता साहित्य मंडल प्रकाशन, समय साक्ष्य, सदीनामा जैसे प्रकाशन समूहों के अलावा प्रतियोगी परीक्षाओं से सम्बन्धित पुस्तकें प्रकाशित करने वाले अरिहंत और उपकार प्रकाशन जैसे प्रकाशकों के स्टाल भी लगे.

पुस्तक मेले का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ डी एस पांगती एवं छात्रसंघ अध्यक्ष राकेश जोशी द्वारा किया गया। प्राचार्य डॉ पांगती ने महाविद्यालय में पढ़ने की संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए आरंभ स्टडी सर्किल और छात्रसंघ की पहल को सराहा। दोनों ही सुबह10 बजे से तकरीबन शाम ६ बजे तक लगे विभिन्न प्रकाशनों के यह स्टाल महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं और शिक्षकों के लिए आकर्षण का केंद्र बने रहे.

पुस्तक मेले में शहर के सभी प्रमुख विद्यालयों से आये विद्यार्थियों ने विभिन्न किताबों के बारे में प्रकाशकों से जाना व आयोजकों से उनके विद्यालयों में इस तरह के आयोजन करवाने की इच्छा जाहिर की।

आजादी मेरा ब्रांड,जूठन, मुर्दहिया, मणिकर्णिका, राग़ दरबारी, कश्मीरनामा, आज के आइने में राष्ट्रवाद,समय का संक्षिप्त इतिहास, गुलजार की पाजी नज्में, गार्गी प्रकाशन से प्रकाशित सवालों की किताब, पाब्लो नेरुदा और राजकमल से प्रकाशित केदारनाथ सिंह के कविता संग्रह, अरुणा रॉय की आर.टी.आई.:कैसे आई, नरेंद्र दाभोलकर श्रृंखला, अमर्त्य सेन और ज्यां द्रेज की ‘भारत और उसके विरोधाभास’ आदि ने पुस्तक प्रेमियों का का विशेष ध्यान खींचा. गार्गी प्रकाशकों से मिली जानकारी के अनुसार उनकी लगभग 70% किताबें पुस्तक मेले में बिक गयी. अन्य प्रकाशकों ने भी पुस्तक मेले को सफल बताते हुए कहा कि ये एक सुखद आश्चर्य है कि इतने दूरस्थ जनपद में किताबों के प्रति इतना लगाव और उत्साह है.

मेले में साहित्य के साथ ही प्रतियोगी पुस्तकों के प्रति परीक्षाओं की तैयारी करते युवा काफी खोजी नजर आए। स्कूली विद्यार्थियों के अलावा महाविद्यालय के साथियों में भी इस पुस्तक मेले के प्रति सकारात्मक रूख रहा। 7000 छात्र संख्या वाले इस महाविद्यालय में नियमित रूप से आने वाले लगभग हर विद्यार्थी ने पुस्तक मेले में भागीदारी की। पुस्तक मेले के दौरान सभी प्रतिभागियों में परस्पर पुस्तकों के प्रकाशन तथा उसकी विषय वस्तु को लेकर चर्चा का माहौल रहा।

‘आरंभ स्टडी सर्किल ’ के महेंद्र रावत ने इस ‘लघु पुस्तक मेले’ के आयोजन में आई चुनौतियों के बारे में बताते हुए कहा कि “अधिकांश प्रकाशक पिथौरागढ़ जैसे दूरस्थ जनपद में आने को ही तैयार नहीं थे. चुनिन्दा प्रकाशनों ने ही पहाड़ में कदम रखने का साहस किया. जहां कुछ प्रकाशक इतनी अधिक दूरी तय करने के प्रति सहज नहीं थे वहीँ कुछ प्रकाशक एक सीमान्त जनपद में किताबों की बिक्री के प्रति आशंकित थे. इस सब के बावजूद कुछ प्रकाशकों ने अपने प्रकाशन की किताबें पुस्तक मेले हेतु भिजवाई.”

‘मिनी बुक फेयर’ के समापन पश्चात आयोजन के सफल रहने पर ‘आरंभ स्टडी सर्किल ‘ ने अपने सोशल मीडिया पेज से लिखा कि- ‘लघु पुस्तक मेले’ के प्रति छात्र-छात्राओं-शिक्षकों-साहित्यकारों और आम जनों का इतना उत्साह और आकर्षण देख इस पहले दो दिवसीय पुस्तक मेले को आयोजित करवाने में लगी मेहनत सफल होती नजर आई.

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Photo Credit Mukul Bhatt

इस ‘लघु पुस्तक मेले’ ने आगे ऐसे कई पुस्तक मेलों की भूमिका तैयार कर दी है. इस आयोजन को जिस तरह की प्रतिक्रियाएं और प्यार मिला है , उसने हमारे इस विश्वास को और मजबूत किया है कि ना किताबों के प्रति लगाव की कमी है और ना पढने वालों की, बस अच्छी किताबों तक पहुंच जरूरी है. सलाम उन चुनिन्दा प्रकाशकों को जिन्होंने दिक्कतों और चुनौतियों के बावजूद पहाड़ चढ़ना तय किया और पिथौरागढ़ ने उन्हें निराश नहीं किया. दोनों ही दिन विभिन्न प्रकाशकों के स्टालों पर पुस्तक प्रेमियों की भीड़ रही।

छात्रसंघ अध्यक्ष राकेश जोशी ने कहा कि “दो दिवसीय ‘मिनी बुक फेयर’ को सभी के उत्साह और प्यार ने एक मेगा आयोजन में बदल दिया. इसी तरह की उत्साहवर्धक प्रतिक्रियाओं से हमें इस तरह के आयोजनों को निरंतर करने का हौसला मिलता है.” उन्होंने महाविद्यालय परिवार का विशेष धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि यह एक नई शुरुआत हुई है और कोशिश रहेगी कि इस तरह के प्रयास और बड़े स्तर पर हों.

पुस्तक मेले में आरंभ के कार्यकर्ताओं द्वारा हाथ से बनाये गये थैलों को भी लोगों ने खूब पसंद किया. शिक्षक-साहित्यकार महेश चन्द्र पुनेठा ने मेले के समापन के बाद लौटने पर अपनी फेसबुक वाल पर इस ‘लघु पुस्तक मेले’ से जुड़े अपने अनुभव साझा करते हुए लिखा कि ‘अखबार से बने इस थैले ने अन्य की तरह मेरा भी ध्यान खींचा। पता चला कि ‘आरम्भ’ लिखा यह इको फ्रेंडली थैला इस पुस्तक मेले से एक दिन पहले बैठकर ‘आरम्भ’ के साथियों द्वारा तैयार किया गया। रद्दी का शानदार इस्तेमाल करता हुआ यह थैला काफी सुविधाजनक है। शहर में बढ़ते प्लास्टिक के कूड़े से निजात दिलाने का अच्छा विकल्प हो सकता है.’ साथ ही उनका कहना था कि ‘पूरे मेले में ‘आरम्भ ‘ के साथियों की सक्रियता देखने लायक थी। कोलकाता और दिल्ली से आये प्रकाशकों ने इस बात की बहुत प्रशंसा की। सदीनामा की प्रतिनिधि मिनाक्षी का कहना था कि पढ़ने की संस्कृति के विकास के लिए नयी पीढ़ी में ऐसी प्रतिबद्धता दुर्लभ है। छात्र संघ द्वारा इस तरह की पहल का उदाहरण उन्हें दूसरा नहीं दिखायी देता है। यह सब देख सुन कर अच्छा लगा।’

बताते चलें कि पहली बार आयोजित हो रहे इस ‘लघु पुस्तक मेले’ को सोशल मीडिया में भी देश के विभिन्न राज्यों में रहने वाले कई साहित्यकारों-संस्कृति कर्मियों की और से भी बहुत उत्साहजनक टिप्पणियाँ मिल रही हैं.

इस आयोजन के प्रबन्धन में ‘आरम्भ’ के दीपक, अमित, मुकेश, मोहित, चेतना, नूतन, सोनल, देवाशीष, दिनेश, अंशिका, अमीषा, मयंक, आशीष, मुकुल की विशेष भूमिका रही.