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पिथौरागढ़ उपचुनाव: देवदार में मतदाताओं ने किया पूर्ण चुनाव बहिष्कार

Newsdesk Uttranews
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‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ के नारे के साथ 461 वोटरों में से किसी ने नही दिया वोट, 1955 में हुआ मार्ग का सर्वे

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पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में मतदाताओं की उदासीनता के बीच सोमवार को विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत देवदार (डयोडार)में ग्रामीणों ने मतदान का पूर्ण बहिष्कार किया। विकास खंड मूनाकोट के राजकीय प्राथमिक विद्यालय देवदार में बने बूथ संख्या 113 में पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 461 है। इनमें 216 पुरुष तथा 245 महिला मतदाता हैं, लेकिन चुनाव प्रेक्षक और अन्य अधिकारियों के समझाने के बावजूद ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’ का नारा बुलंद करते हुए कोई मतदाता वोट देने नहीं आया। मतदान केंद्र पर पीठासीन अधिकारी सहित अन्य मतदान कार्मिक मतदाताओं की राह तकते रहे, लेकिन शाम तक सन्नाटा ही पसरा रहा। ग्रामीणों ने पत्रकारों के पहुंचने के बाद खुलकर अपना रोष जाहिर किया।

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सिर्फ तीन किलोमीटर हिस्से के डामरीकरण न होने से क्षेत्रवासियों को उठानी पड़ रहीं अनेक समस्याएं


जिला मुख्यालय से करीब 9 किलोमीटर दूरी पर स्थित ग्राम पंचायत देवदार में, ग्राम देवदार के अलावा उदयबुंगा, सिनखोला और नाखेत गांव पड़ते हैं। ग्राम प्रधान रोशन सिंह वल्दिया तथा क्षेत्र के जागरूक नागरिक कुन्दन सिंह मोसाल के अनुसार सन 1952 में ग्राम संगट्टा से देवदार होते हुए भिलौंत तक सड़क मार्ग का सर्वे किया गया। जिसके बाद भिलौंत तक कच्चे मार्ग का निर्माण हुआ, वर्ष 2008 में इस कच्चे मार्ग पर कंक्रीट किया गया, जिसके बाद इस पर वाहनों का आवागमन शुरू हुआ। परंतु कुछ समय बाद ही मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के लोग लंबे समय से इस मार्ग के तीन किलोमीटर हिस्से-संगट्टा से देवदार तक डामरीकरण की मांग कर रहे है, लेकिन कोई उनकी समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं दे रहा है।


ग्रामीण नरेंद्र सिंह वल्दिया, सुनील, नरेंद सिंह मोसाल, सुरेंद्र मोसाल, राम सिंह वल्दिया व विमला देवी आदि का कहना है कि मार्ग के तीन किमी हिस्से संगट्टा से देवदार तक डामरीकरण न होने से उनके समस्याओं में कई गुना इजाफा हो जाता है। इस उबड़-खाबड़ खडंजा मार्ग की हालत यह है कि किसी के बीमार पड़ने पर न 108 सेवा आती है, न गैस सिलेंडर का वाहन आता है, स्कूल बस नहीं आती और यही नहीं क्षेत्र में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाए तो शव वाहन वाले भी आने से मना कर देते हैं। मृतक व्यक्ति की क्रिया करने वाले को भी 3 किमी कच्चे मार्ग में नंगे पैर जाना-आना पड़ता है। क्षेत्रवासियों ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए बताया कि इलाके के अनेक बच्चे शहर के निजी स्कूलों में पड़ने जाते हैं, लेकिन अभिभावकों को उन्हें जंगल के रास्ते होकर तीन किमी पैदल पक्की सड़क तक पहुंचाना होता है, जहां से वो स्कूल बस पकड़ते हैं। और यही सिलसिला स्कूल की छुट्टी के बाद चलता है। इन परेशानियों के बीच जंगली जानवरों का खतरा अलग बना रहता है।


ग्रामीणों के अनुसार पूर्व विधायक मयूख महर और उसके बाद पूर्व कैबिनेट मंत्री स्व. प्रकाश पंत के समक्ष भी क्षेत्रवासियों ने यह समस्याएं रखीं, मगर उन्हें लगातार समस्या उठाने के बावजूद आज तक सिर्फ आश्वासन ही मिला। इसके चलते उन्होंने इस बार पूर्ण चुनाव बहिष्कार का निर्णय लिया है। बहरहाल चुनाव बहिष्कार पर डटे ग्रामीणों को समझाने चुनाव प्रेक्षक राशिद खान सहित सहायक रिटर्निंग अधिकारी डाॅ. विद्या सागर कापड़ी भी देवदार पहुंचे, लेकिन ग्रामीण अपने निर्णय से नहीं डिगे।

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