धीरेन्द्र चीड़ का छिलका यानी पहाड़ी भाषा में बगेट कहे जाने वाले एक प्रकार की बेकार की चीज को कलात्मक रूप देकर कला का नया आयाम प्रस्तुत कर रहे हैं। उनका मानना है कि समय तो लगता है लेकिन कला जब एक रूप लेकर सामने आती है तो धीरेन्द्र पांडे ने बताया कि युवा वर्ग को रचनात्मकता की ओर मोड़ना जरूरी है। आज जिस प्रकार युवा साईबर और डिजीटल सुविधाओं का लती होते जा रहा है यदि वह इस प्रकार की रचनात्मकताओं में जुड़े तो वह अपने समय का सदुपयोग कर सकता है।नगरपालिका में जो भी इस प्रदर्शनी को देखने आ रहा है वह इसकी सराहना जरूर कर रहा है।
अपनी रचनात्मकता से बेजान चीड़ के छिलकों में कलात्मक जान डाल रहे हैं धीरेन्द्र, युवाओं को रचनात्मकता की ओर मोड़ने का है उद्देश्य
अल्मोड़ा। अल्मोड़ा निवासी धीरेन्द्र पांडे चीड़ के बेजान छिलकों में अपनी रचनात्मकता कला से सजीव कलाकृतियां बना रहे हैं, अल्मोड़ा की विभिन्न कला संस्कृतियों को…