गंगा जल से तैयार कोरोना वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के लिए याचिका दायर

  प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा जल से तैयार की गई कोविड 19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग में याचिका दाखिल…


 

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गंगा जल से तैयार की गई कोविड 19 वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग में याचिका दाखिल की है.  याचिका में मांग की गई है कि आयुष मंत्रालय व आईसीएमआर को डॉ. वीएन मिश्र की टीम को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने का समादेश जारी किया जाए और पुणे के वायरोलाजी लैब में गंगा जल से तैयार वैक्सीन का टेस्ट कराया जाए। याचिका पर इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च एवं भारत सरकार की इथिक्स कमेटी को नोटिस जारी किया है और भारत सरकार सहित सभी विपक्षियों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है।

यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एम एन भंडारी और न्यायमूर्ति राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता अरूण कुमार गुप्ता की जनहित याचिका पर दिया है। गुप्ता का कहना है कि काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विजय नाथ मिश्र के नेतृत्व में डाक्टर की टीम ने गंगा जल पर रिसर्च कर नोजल स्प्रे वैक्सीन तैयार की है, जो मात्र 30 रुपये में लोगों को कोरोना से राहत दे सकती है।

इसकी रिपोर्ट तैयार कर इथिक्स कमेटी को भेजी गई है और क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति मांगी गई है, लेकिन कोई निर्णय नहीं लिया जा सका है। बीएचयू के डॉक्टर का दावा है कि वायरो फेज थेरेपी से कोरोना का खात्मा किया जा सकता है।

दावा किया गया है कि अभी तक जितनी भी वैक्सीन है वो वायरस को डीऐक्टीवेट करती है, जबकि गंगा जल से प्रस्तावित वैक्सीन कोरोना को खत्म कर देगी। बीएचयू डाक्टरों की टीम ने आईसीएमआर व आयुष मंत्रालय को क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति के लिए शोध प्रस्ताव भेजा है। इनके द्वारा कोई रूचि नहीं ली जा रही है।

शोध प्रस्ताव राष्ट्रपति को भी भेजा गया है जिसमें दावा किया गया है कि गंगा जल का क्लिनिकल ट्रायल कर कोरोना को जड़ से खत्म करने की वैक्सीन तैयार की जा सकती है। याची का कहना है कि 1896 में ब्रिटिश बैक्टीरियोलॉजिस्ट अनेस्ट हॉकिंस ने गंगा जल पर शोध किया था। दावा किया है कि उनकी रिपोर्ट ब्रिटिश मेडिकल जनरल में छपी थी, गंगोत्री के जल में सेल्फ प्यूरीफाइंग क्वॉलिटी पाई गई थी। याची अरूण कुमार गुप्ता ने 28 अप्रैल 2020 को सभी शोधपत्र नेशनल क्लीन गंगा मिशन को भेजा है और महानिदेशक आईसीएमआर को भी देकर क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति देने की मांग की है।