जिम कॉर्बेट का 143 वा जन्मदिन मनाया

कालाढूंगी। विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद जिम कार्बेट का 143 वां जन्म दिन प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्बेट संग्रहालय…

कालाढूंगी। विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद जिम कार्बेट का 143 वां जन्म दिन प्रति वर्ष की तरह इस वर्ष भी हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्बेट संग्रहालय में आयोजित जन्मदिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि निवर्तमान चेयरमैन पुष्कर कत्यूरा ने कार्बेट की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर उन्हें याद किया। इस मौके पर कत्यूरा ने कहा कि कार्बेट का जीवन हमारे बीच एक आदर्श पर्यावरणविद के रूप में है।

कार्बेट ने वन्य जीव संरक्षण और पर्यावरण संतुलन में अनेक कार्य किये। इसलिए हमें कार्बेट के सिद्वान्तों पर चल कर पर्यावरण और वन्य जीवों को बचाना होगा। पूर्व डीएफओ सुरेश चंद्र पंत ने कहा कि कार्बेट में पहले से ही पर्यावरण संरक्षण की विचाधारा मौजूद थी। कार्बेट के बसाये गांव छोटी हल्द्वानी के ग्रामीणों को उनके बताये मार्गो पर चल कर पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान देना होगा। कार्यक्रम के उपरान्त कार्बेट विकास समिति द्वारा छोटी हल्द्वानी गांव में विभिन्न प्रजाति के कई पौधों का रोपण किया गया। इस अवसर पर स्कूली बच्चों को जिम कार्बेट के बारे में बताया गया कॉर्बेट ग्राम विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडे ने बताया जिम कार्बेट का जन्म 25 अगस्त 1875 को नैनीताल में हुआ था।

उनका परिवार तब नैनीताल के गर्नी हाउस में रहता था। जिम घुमक्कड़ स्वभाव के थे। सर्दियों में उनका परिवार नैनीताल से लगभग 38 किमी दूर कालाढूंगी में प्रवास पर आ जाता था। जिम को यह जगह इतनी पसंद आई कि उन्होंने जंगलों के झुरमुट के बीच 14 बीघा जमीन खरीदकर यहीं अपना आशियाना बना लिया। इसके बाद उन्होंने 222 एकड़ जमीन खरीदकर छोटा हल्द्वानी के नाम से एक गांव ही बसा दिया। जो आज भी ‘‘ कार्बेट का गांव ‘‘् के नाम से जाना जाता है। जिम आज भी यहां लोगों की यादों व सांसों में बसते हैं। कार्बेट ग्राम विकास समिति की ओर से उनके 143 वें जन्मदिन पर कार्यक्रम के दौरान भारी बारिश के बीच आयोजित किए गए। जिम कार्बेट संग्रहालय में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने कहा कि जिम गरीबों के मसीहा थे। उन्होंने गरीब लोगों को मुफ्त में जमीन दी और उन्हें छोटी हल्द्वानी गांव में ही बसाया।

वे उन्हें खेती में भी मदद करते थे। यही नहीं जिम बीमार होने पर उनका उपचार करते और आर्थिक मदद भी देते थे।मुख्य अतिथि पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष पुष्कर कंत्यूरा और वन विभाग के अधिकारियों ने कहा कि जिम कार्बेट ने हमेशा आदमखोर जानवरों का ही शिकार किया। वे लोगों की फसल को भी जानवरों से बचाते थे। वक्ताओं ने कहा कि आजादी के बाद भी जब वे केन्या चले गए तो उनका दिल फिर भी भारतीयों के लिए धड़कता था। केन्या में रहकर भी उन्होंने भारतीयों से प्रेम किया। वे सात समुंदर पार से भी लोगों के हालचाल लेते रहते थे। लोगों की आर्थिक मदद करते रहते थे।

उनके जन्मदिन पर आज छोटा हल्द्वानी में पौधारोपण भी किया गया। इस मौके पर कार्बेट विकास समिति के अध्यक्ष राजकुमार पांडे सहकारिता समिति के अध्यक्ष शेखर जोशी, मन्नू पंत, केशर सिंह अधिकारी, मोहन पांडे, इंदर सिंह बिश्ट, गणेश कार्की, उमेद सिंह नगरकोटी, गणेश मेहरा, सुरेश बुधलकोटी, दिव्यचन्द, नंदन सिंह नेगी, रोहित बुधलकोटी, त्रिलोक सिंह नेगी सहित सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण व स्कूली बच्चे मौजूद थे।