केंद्र सरकार यूनिवर्सल पेंशन स्कीम लाने पर विचार कर रही है, जो स्वैच्छिक और अंशदायी होगी। इस योजना में किसी व्यक्ति के रोजगार की कोई अनिवार्यता नहीं होगी, यानी कोई भी आम नागरिक इसमें योगदान कर सकता है और पेंशन प्राप्त कर सकता है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य पारंपरिक रोजगार से परे सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करना है, ताकि संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के लोग इस योजना का लाभ उठा सकें।
NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, श्रम और रोजगार मंत्रालय इस समग्र पेंशन योजना पर विचार-विमर्श कर रहा है, जिसे मौजूदा पेंशन योजनाओं को एकीकृत करने के उद्देश्य से विकसित किया जाएगा। यह योजना कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत बनाई जा रही है और इसके अंतिम प्रारूप को तैयार करने के बाद विभिन्न हितधारकों से सुझाव लिए जाएंगे।
नई पेंशन योजना पूरी तरह स्वैच्छिक होगी, जिससे न केवल संगठित क्षेत्र के लोग बल्कि असंगठित क्षेत्र के छोटे व्यापारी और स्वरोजगार करने वाले भी इसमें शामिल हो सकेंगे। इसके तहत प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (PM-SYM) और राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS-Traders) जैसी मौजूदा पेंशन योजनाओं को मिलाने की संभावना है। ये योजनाएं रिटायरमेंट के बाद ₹3,000 मासिक पेंशन प्रदान करती हैं, जिसके लिए लाभार्थी को ₹55 से ₹200 तक का योगदान देना होता है और सरकार भी उतना ही योगदान देती है। इसके अलावा, अटल पेंशन योजना (APY) को भी इस नए ढांचे में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है।
सरकार इस योजना को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए निर्माण श्रमिकों के लिए लिए गए उपकर को उनकी पेंशन वित्तीय सहायता के रूप में उपयोग करने पर भी विचार कर रही है। इससे सामाजिक सुरक्षा का दायरा व्यापक होगा और अधिक से अधिक लोग अपने भविष्य के लिए आर्थिक रूप से सुरक्षित हो सकेंगे।