पर्वतीय राज्य उत्तराखंड की मूल अवधारणा के साथ छेड़छाड़ नहीं करने की मांग

अल्मोड़ा:- पूर्वदर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने प्रदेश के मुखिया और कुविवि के कुलपति प्रो. केएस राणा के यूपी के तराई के जिलों को उत्तराखंड में…

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अल्मोड़ा:- पूर्वदर्जा मंत्री बिट्टू कर्नाटक ने प्रदेश के मुखिया और कुविवि के कुलपति प्रो. केएस राणा के यूपी के तराई के जिलों को उत्तराखंड में मिलाए जाने संबंधी बयानों की कड़ी निंदा की है| प्रधानमंत्री को भेजे ज्ञापन उन्होंने कहा कि पर्वतीय राज्य उत्तराखंड अनेकों राज्य आन्दोलनकारियों के संघर्ष एवं शहादत के पश्चात हुआ है|
राज्य गठन हेतु समस्त पर्वतीय क्षेत्रों की मातृशक्ति,छात्रों,कर्मचारियों द्वारा लम्बे समय तक संघर्ष एवं आन्दोलन किया गया| जिस आन्दोलन में हजारों आन्दोलनकारियों को कारावास एवं दर्जनों लोगों की शहादत के बाद पृथक उत्तराखण्ड राज्य की नींव रखी गयी । किन्तु कुछ समय से प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं मैदानी क्षेत्र के कुछ माननीय मंत्री लगातार सहारनपुर,विजनौर एवं मुजफ्फरनगर को उत्तराखण्ड में मिलाने की बात कर रहे हैं जो इस राज्य की आन्दोलनकारियों एवं जनता के आत्मा में कुठाराघात के समान है । जनप्रतिनिधियों के इस प्रकार के अनर्गल बयान से प्रभावित होकर अब कुमायूं विश्वविद्यालय के कुलपति जिन्हें विश्वविद्यालय की स्थितियों को ठीक करने के लिये रखा गया है वह भी राजनीतिक बयानबाजी कर इन मैदानी क्षेत्रों को इस पर्वतीय राज्य में मिलाने की पैरोकारी कर जनप्रतिनिधियों की चमचागिरी करने का कार्य कर रहे हैं जो घोर निन्दनीय है व उनका अमर्यादित बयान माफी के योग्य नहीं है ।
उन्होंने कहा कि देश के इस सीमावर्ती क्षेत्र के विकास को गति देने एवं इस क्षेत्र के युवाओं को रोजगार तथा राज्य की जवानी व पानी को सही दिशा देने के लिये उत्तर प्रदेश से पृथक कर राज्य का निर्माण आन्दोलनकारियों द्वारा कराया गया|
कहा कि प्रधानमंत्री जहां अपने हर संबोधन में पर्वतीय क्षेत्र के युवाओं से यहां के पानी व यहां की जवानी का सही उपयोग किया जाय किन्तु वर्तमान में कुछ लोग यह साजिश रच रहे हैं कि पर्वतीय क्षेत्र को पुनः उपेक्षित कर मैदानी क्षेत्रों को इस राज्य में जोड़ कर यहां के युवाओं एवं ग्रामीणों के साथ अन्याय किया जाय इस कृत्य को कतई बर्दाश्त नहीं किया जायेेगा ।
उन्होंने ऐसे बयान देने वाले राजनीतिक व्यक्तियों को तत्काल कठोर चेतावनी देते हुये तथा कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति को राजनीतिक षडयन्त्र रचने के लिये दण्डित करते हुये पद से पदमुक्त करने की मांग करते हुए पर्वतीय क्षेत्र की जनता से किये गये अपने वादे को सही साबित करने के लिये इस राज्य की जनता के सामने सही उदाहरण प्रस्तुत करने की मांग की है साथ ही इस राज्य के निर्माण में अपनी प्राणों की आहुति देने वाले राज्य आन्दोलनकारियों के सपने का उत्तराखण्ड बनाने का प्रयास करने की मांग की है|