अमित जोशी। टनकपुर से 25 किलोमीटर दूर स्थित व्यानधुरा मंदिर बहुत प्रसिद्ध मंदिर है जिसमें उतरायणी की मध्य रात्रि में एक जागर के साथ मेले का आयोजन किया जाता है जिसमें हजारों की तादाद में दर्शनार्थियों दर्शन के लिए आते हैं.
टनकपुर से कठोल गांव तक वाहनों से सफर करने के बाद दर्शनार्थी 10 किलोमीटर दूर तक पैदल यात्रा कर मुख्य मंदिर तक पहुंचकर ऐड़ी देवता के दर्शन के लिए पहुंचते है.
इस कार्य में मुख्य मंदिर से 3 किमी नीचे से स्थानीय निवासियों द्वारा लाइट और पानी की व्यवस्था की जाती है. मंदिर कमेटी के अध्यक्ष शंकरदत्त जोशी ने बताया कि यह पांडवों का स्थानीय मूल आवास माना जाता है. यहां सेनापानी नामक स्थान पर पांडवों द्वारा अपनी सेना के साथ शरण ली थी. बनाई थी इसीलिए इस जगह का नाम सेनापानी रखा गया. पड़ोसी देश नेपाल और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से भी यहां दर्शनार्थी दर्शन के लिए आते हैं.
इधर दूसरी ओर टनकपुर में हरेला क्लब द्वारा दो दिवसीय उत्तरायणी कोतिक मैला का आयोजन किया जाता है जिसका शुभारंभ जो 15 जनवरी को अपराह्न 12 बजे किया जाता है यहां पर शारदा से कलश यात्रा छोलिया नृत्य के साथ नगर में एक भव्य यात्रा का आयोजन किया जाएगा.जिसके बाद अपराहन 12:00 बजे गांधी मैदान टनकपुर में इस हरेला क्लब द्वारा उद्घाटन कार्यक्रम के साथ रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे.16 जनवरी को अपराहन 2:00 बजे से इस मेले का आयोजन किया जाएगा.
जिसमें बाहर से आए कलाकारों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाएंगे.हरेला क्लब के अध्यक्ष ने डी डी भट्ट ने बताया कि यह दो दिवसीय मेला हमारे द्वारा अपनी संस्कृति को उजागर करने के लिए किया गया है जिसे देखने के लिए हजारों की तादाद पर पर्वतीय एवं मैदानी क्षेत्रों से जनता पहुंचती है यह मेला पिछले 13 वर्षों से टनकपुर में आयोजित किया जा रहा है