गैरसैंण। उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में गुरुवार को ‘पहाड़ी स्वाभिमान रैली’ के दौरान राज्य आंदोलन जैसी ऊर्जा और जोश देखने को मिला। हजारों आंदोलनकारियों ने कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान का विरोध करते हुए जोरदार नारेबाजी की और पुतला दहन कर आक्रोश व्यक्त किया। इस मौके पर प्रदर्शनकारियों ने गैरसैंण उपजिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी भेजा। भारी भीड़ के चलते प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए।
गैरसैंण में जुटे हजारों आंदोलनकारी
गुरुवार सुबह आठ बजे से ही रामलीला मैदान, गैरसैंण में आंदोलनकारियों का आना शुरू हो गया था। 10 बजे तक पूरा मैदान खचाखच भर गया और बाजारों में भी भारी भीड़ उमड़ पड़ी। प्रदर्शनकारियों ने वीर चंद्र सिंह गढ़वाली की मूर्ति पर माल्यार्पण कर ‘उत्तराखंड जिंदाबाद’ और ‘गैरसैंण जिंदाबाद’ के नारे लगाए।
मंत्री के इस्तीफे की उठी मांग
रैली को संबोधित करते हुए ‘पहाड़ी स्वाभिमान रैली’ के संयोजक एवं राज्य आंदोलनकारी सुरेश बिष्ट ने कहा कि यह आंदोलन एक सूत्रीय मांग को लेकर किया जा रहा है, जिसमें मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे की मांग प्रमुख है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि मांगें पूरी नहीं हुईं, तो अलग-अलग स्थानों पर और भी बड़े आंदोलन किए जाएंगे।
महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर लिया हिस्सा
रैली में महिलाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिली। भराड़ीसैंण, फरकंडे, पंचाली, रोहिडा, कुनीगाड, माईथान, मेहलचोरी और घुनारघाट क्षेत्र की महिला मंगल दलों की सैकड़ों महिलाएं बैनर लेकर प्रदर्शन में शामिल हुईं।
नेताओं ने सरकार को घेरा
मूल निवास भू कानून संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि एक ओर जहां भू कानून और मूल निवास के लिए संघर्ष जारी है, वहीं अब यह लड़ाई स्वाभिमान की बन गई है। केदारनाथ विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक प्रत्याशी रहे त्रिभुवन चौहान ने भी सरकार पर निशाना साधा।
द्वाराहाट के पूर्व विधायक पुष्पेश त्रिपाठी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य निर्माण का मूल उद्देश्य पहाड़ों और पहाड़ियों का संरक्षण था, लेकिन आज वह सपना अधूरा रह गया है। वहीं, द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट ने कहा कि उन्होंने मंत्री के बयान का सबसे पहले विरोध किया था और अब यह लड़ाई सड़कों पर अंतिम निर्णय तक लड़ी जाएगी।
ऋषिकेश नगर निगम के पार्षद सुरेंद्र नेगी और गेवाड संघर्ष समिति चौखुटिया के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह नेगी ने भी मंत्री के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि यह आंदोलन पहाड़ की अस्मिता और सम्मान को बचाने के लिए है, जिसे किसी भी कीमत पर सफल बनाया जाएगा।
प्रदेशभर से पहुंचे आंदोलनकारी
इस रैली में गैरसैंण के अलावा चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, बागेश्वर और नैनीताल जिलों से भी हजारों आंदोलनकारी पहुंचे। भारी भीड़ को देखते हुए प्रशासनिक अमला सतर्क बना रहा।
इस रैली से एक बार फिर उत्तराखंड राज्य आंदोलन की यादें ताजा हो गईं और यह साफ हो गया कि पहाड़ के लोग अपने अधिकारों के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करने को तैयार हैं।