ऐंपण:— उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर पहाड़ में ऐसे होती है दीवाली की तैयारियां

गेरूआ व बिस्वार से ऐपण बनाना अब बीते वक्त की बात जानकारी से संबंधित वीडियों देखने के लिए क्लिक करें डेस्क:— उत्तराखंड के पहाड़ों में…

गेरूआ व बिस्वार से ऐपण बनाना अब बीते वक्त की बात

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डेस्क:— उत्तराखंड के पहाड़ों में एक अनूठी परंपरा है ऐपण। कोई भी त्यौहार हो लोग घर की देहरी पर रंगोली सजाकर खुशियां मनाते हैं। इस रंगोली की परंपरा को ही पहाड़ों में ऐपण कहा जाता है। लाल रंग के बेस पर सफेद रंग से फूल, पत्ती, सीधी लाइन और तरह तरह के डिजायनों का निर्माण करना ही ऐपण देना कहलाता है। दीपावली हो तो इसके कुछ खास मायने हो जाते हैं। यहा हर तबका अपने स्तर से घरों में ऐपण से सजावट कराता है। इस दौरान इस डिजाईन में मां लक्ष्मी के चरण पादुकाओं के डिजायन भी बनाए जाते हैं।


अल्मोड़ा में भी ऐपण कला काफी समृद्ध रही है। पहले यहां गेरूई मिट्टी से लाल रंग का बेस बनाकर उसमें बिस्वार(अच्छी तरह भिगो कर पीस कर लेप के रूप में तैयार चावल का घोल) की मदद से तरह तरह के डिजायन बनाए जाते थे। एक हफ्ते से दीवाली की तैयारियों में घरों की महिलाएं लग जाती थी। लेकिन अब बदलते वक्त के साथ इस गेरूआ बिस्वार की रंगोली का स्थान लाल और सफेद पेंट और तैयार स्टीकरों ने ले लिया है। बाजार में हर साइज और कीमत के ​स्टीकर उपलब्ध हैं जिसे लोग जरूरत के अनुसार खरीद कर घर को सजाते हैं। कुल मिलाकर दीवाली पारंपरिक गेरूए व बिस्वार की हो या आधुनिक इनेमल पेंट या स्टीकर की खुशियां पहले की तरह हर चेहरे पर रहती हैं। इसकी ही जरूरत भी है। आप खुश रहे खिल खिलाएं और हंसी खुशी दीवाली मनाए यही हमारी शुभकामनांए हैं।