Training given to rural women to produce organic fuel from Pirul, 150 women trained
अल्मोड़ा, 21 अक्टूबर 2020- जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी-कटारमल के ग्रामीण तकनीकी परिसर में हिमालयी आजीविका सुधार परियोजना द्वारा गठित किसानों के समूहों हेतु पिरूल से जैविक ईंधन (organic fuel from Pirul)(बायोब्रिकेट) तैयार करने विषय पर तीन दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर संपन्न हो गये हैं|
यह प्रशिक्षण 12-13, 15-16, एवं 20-21, अक्टूबर को आयोजित किये गये। इन प्रशिक्षण शिविरों में हवालबाग विकासखण्ड के 12 गाॅवों के 15 समूहों से 150 किसानों ने भाग लिया जिसमें 6 पुरूष एवं 144 महिला प्रतिभागी थे। प्रशिक्षण शिविरों का संचालन करते हुए संस्थान की वैज्ञानिक एवं ग्रामीण तकनीकी परिसर के प्रभारी डा. हर्षित पन्त जुगरान ने किसानों का स्वागत किया तथा प्रशिक्षण विषय की जानकारी दी। प्रशिक्षण का शूभारम्भ करते हुए संस्थान के निदेशक डा. आरएस रावल ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रशिक्षणों के माध्यम से किसानों की कार्यक्षमता बढ़ती है, तथा उन्होंने समूह के किसानों को प्रशिक्षणों में सीखी गयी तकनीक को अपने क्षेत्रों में अपनाकर समूह के माध्यम से विक्रय करने पर बल दिया साथ ही कहा कि इस प्रशिक्षण में सीखी गयी तकनीकों को अपने दैनिक जीवन में अपनाना बहुत आवष्यक है तभी कृषक अपनी आजीविका में सुधार कर सकता है। इस अवसर पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं सामाजिक आर्थिक विकास केन्द्र के केन्द्र प्रमुख डा जीसीएस नेगी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि पीरूल से बायोब्रिकेट (कोयला) बनाकर अपने उपयोग करने से किसानों की ईंधन हेतु वनों पर निर्भरता कम होगी तथा पीरूल को बनों से बायोब्रिकेट बनाने हेतु इकटठा करने से वनों में आग लगने की घटनाऐं भी कम होंगी। इस अवसर पर उपस्थित प्रसार प्रािक्षण केन्द्र के आचार्य श्री केके पन्त, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती अन्जू एवं प्रशिक्षण प्रभारी आनन्द भटट् ने किसानों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षण में सीखी तकनीकों को अपने व्यवहारिक जीवन में अपनाने पर जोर दिया साथ ही उन्होंने सभी समूहों को बायोब्रिकेट बनाने हेतु सांचा उपलब्ध कराने तथा सभी प्रशिक्षणार्थियों को अंगीठी देने हेतु आश्वासन दिया।
प्रशिक्षण में किसानों को पिरूल से जैविक ईंधन बनाने पर वैज्ञानिक डा. हर्षित पन्त ने डाक्युमेंन्ट्री प्रस्तुतीकरण के माध्ययम से विस्तृत जानकारी दी तथा बायोब्रिकेट बना रही सफलतम महिला कृषकों से मिलाया और डाक्यूमेंन्ट्री दिखाकर प्रोत्साहित किया, तत्पश्चात डा. हर्षित पन्त एवं डीएस बिष्ट द्वारा पीरूल से तैयार किया गये चारकोल को सांचे के माध्यम से ब्रिकेट बनाने पर प्रयोगात्मक प्रशिक्षण दिया गया जिसमें प्रत्येक प्रतिभागी ने स्वयं एक-एक ब्रिकेट तैयार किया। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को ग्रामीण तकनीकी परिसर का भ्रमण कराया गया साथ ही उन्हें पीरूल से तैयार किया जाने वाले हैण्ड मेड पेपर की प्रसंस्करण इकाई भी दिखायी गयी जिसमें डा. देवेन्द्र चैहान ने किसानों को पीरूल के उपयोग एवं इससे मोटा कागज तैयार कर विभिन्न उत्पाद जैसे फाइल कवर, मीटिंग फोल्डर, कैरी बैग, नोट पैड, इत्यादि बनाने की विस्तृत जानकारी प्रदान की।
प्रशिक्षण के समापन सत्र में संस्थान की वैज्ञानिक डा. हर्षित पन्त एवं प्रसार प्रशिक्षण केन्द्र के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती अन्जु एवं प्रशिक्षण प्रभारी आनन्द भटट् द्वारा किसानों को प्रशिक्षण में प्रतिभाग का प्रमाण पत्र वितरित कर सभी समूहों को ब्रिकेट बनाने का सांचा एवं प्रत्येक प्रतिभागी को एक-एक अंगीठी प्रदान की। इस अवसर पर प्रतिभागियों ने इस प्रशिक्षण को किसानों के लिए बहुत उपयोगी बताया, और ब्रिकेट बनाकर जाड़ों में अपने उपयोग में लाने एवं बाजार में विक्रय करने का आशवासन दिया।