हिमाचल प्रदेश में अब बस का सफर करना हुआ महंगा, जानिए कितना हुआ न्यूनतम किराया

हिमाचल प्रदेश के सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है जिसकी वजह से अब सरकार ने बसों का न्यूनतम किराया बढ़ा दिया है। अब बसों…

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हिमाचल प्रदेश के सरकार आर्थिक संकट से जूझ रही है जिसकी वजह से अब सरकार ने बसों का न्यूनतम किराया बढ़ा दिया है। अब बसों में न्यूनतम किराया ₹5 से बढ़कर ₹10 कर दिया गया है।


यह निर्णय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुख्खु की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया। कैबिनेट बैठक के बाद जानकारी देते हुए उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बताया कि पिछले लंबे समय से बस के किराए को बढ़ाने की मांग की जा रही थी लेकिन इस बार केवल न्यूनतम किराया ही बढ़ाया गया है। बाकी किराया दरें यथावत रहेगी।


मंत्री ने कहा कि पिछले कई वर्ष से बस किराए में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई थी। वर्तमान में यात्रियों से न्यूनतम किराया केवल ₹5 लिया जा रहा था लेकिन अब इसे बढ़ाकर ₹10 कर दिया गया है।


आपको बता दे कि यह बदलाव खासकर उन लोगों की जेब पर असर डालेगा जो रोजाना कम दूरी का सफर करते हैं। स्कूल कॉलेज जाने वाले छात्र कामकाजी लोग और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों पर इसका विशेष प्रभाव पड़ेगा।


जानकारी के मुताबिक यह निर्णय निजी बस ऑपरेटरों के दबाव और सरकारी बस सेवा एचआरटीसी (हिमाचल पथ परिवहन निगम) की खराब आर्थिक स्थिति के चलते लिया गया है। निजी बस ऑपरेटर लंबे समय से न्यूनतम बस किराया पांच रुपये से बढ़ाकर 15 रुपये करने की मांग कर रहे थे।


उनका तर्क है कि हिमाचल प्रदेश में जहां एक ओर सामान्य किराया देश में सबसे ज्यादा है वहीं न्यूनतम किराया देश में सबसे कम है, जिससे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
प्रदेश सरकार ने फिलहाल किराया दोगुना कर इसे ₹10 कर दिया है इससे न केवल निजी ऑपरेटरों को राहत मिलेगी बल्कि एचआरटीसी को भी आंशिक आर्थिक सहारा मिलेगा।


एचआरटीसी की बात करें तो यह निगम बीते वर्षों से लगातार घाटे में चल रहा है। 31 मार्च 2023 तक एचआरटीसी का कुल घाटा 1966 करोड़ रुपये था जो 31 मार्च 2024 तक बढ़कर 2119 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। वर्तमान में यह घाटा 2200 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर चुका है।


निगम को इस घाटे से निकलने के लिए प्रदेश सरकार हर वर्ष 700 करोड रुपए से अधिक की ग्रांट भी देती है। इसके बाद भी हरियाणा रोडवेज की माली हालत नहीं सुधरी। निगम के पास वर्तमान में लगभग 3000 बेसन का बेड़ा और3800 से अधिक रूट हैं।

एचआरटीसी पर करीब 28 वर्गों को रियायती किराया सुविधा देनी होती है जिससे उसकी आय पर सीधा असर पड़ता है।


इन वर्गों में महिलाओं को दी जा रही 50 प्रतिशत छूट सबसे अधिक बोझ डाल रही है। सरकार का तर्क है कि सामाजिक कल्याण के उद्देश्य से दी जा रही यह छूट जरूरी है लेकिन इसका असर एचआरटीसी की वित्तीय हालत पर साफ नजर आ रहा है।