अब तो निकालिए सुरंग से मुझको मुझे अपने घर जाना है….किया था वादा जो परिवार से , वह निभाना है…. सुनिए सुरंग में फंसे मजदूरों का हाल

उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों पर अब मार्मिक कविताएं भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी है। इन कविताओं के माध्यम से केंद्र…

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उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों पर अब मार्मिक कविताएं भी सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी है। इन कविताओं के माध्यम से केंद्र व राज्य सरकार से मजदूरों को जल्द से जल्द बाहर निकालने की अपील की जा रही है। इस हादसे पर प्रशांत सिंह चौहान ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म कविता सांझा की है। इस कविता की पंक्ति इस प्रकार है कि अब तो निकालिए सुरंग से मुझको, मुझे अपने घर जाना है। किया था वादा जो परिवार से, वह वादा निभाना है।निभाना है फर्ज बेटे का, कर्ज पिता का मुझे चुकाना है। पथरा गई होंगी मां की आंखें, उन्हें ढांढस दिलाना है। पहुंचकर पास पत्नी के खुशी के आंसु उसे रुलाना है। भाई के इंतजार को, अब और नहीं बढ़ाना है।

वही उत्तरकाशी के लोकगायक व कवि ओम प्रकाश सेमवाल लिखा कि बूढ़ी मां की आंखें तरसी, कब आएगा मेरा बेटा बाहर, आहट सुनाई नहीं दे रही, मुझे चारों पहर।बता दें कि टनल के अंदर से चल रहे बचाव अभियान को झटका लगने के बाद रविवार को नए जोश के साथ बचाव दलों ने चौतरफा बचाव अभियान तेज कर दिया है।अंदर जहां फंसे ब्लेड को काटकर निकालने में तेजी आई तो ऊपर से भी ड्रिल शुरू कर दी गई। वहीं, टनल के दूसरे सिरे से भी एस्केप टनल बनाने का काम तेज कर दिया गया है।