उत्तरा न्यूज विशेष नोटबंदी : क्या खोया क्या पाया

आज से दो वर्ष पूर्व हुई थी नोटबंदी दो वर्ष पहले आज ही के दिन शाम 8 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुराने 1000 और…

RBI -Inflation is going to hit more now,

आज से दो वर्ष पूर्व हुई थी नोटबंदी

दो वर्ष पहले आज ही के दिन शाम 8 बजे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुराने 1000 और 500 के नोट को अमान्य करार देते हुए विमुद्रीकरण का फैसला लिया था। ठीक दो वर्ष बाद क्या हालात है। सरकार ने जिन कारणों को लेकर नोटबंदी की घोषणा की थी क्या वह पूरे हो पाये।

पढ़िये विशेष रिपोर्ट

आठ नवंबर 2016 को रात के 8 बजे प्रधानमंत्री ने नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके बाद 1000 और 500 रूपये मूल्य के नोटों को चलन से बाहर कर दिया गया था। अचानक हुए इस ऐलान से चारो ओर अफरातफरी मच गयी थी। और जो लोग यात्रा कर रहे थे उन्हे भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। कई कई जगहों पर 1000 के नोट के बदले 600 रूपये ही मिले। रात 8 बजे प्रधानमंत्री के ऐलान के बाद अपने 1000 और 500 के नोटों को खर्च करने के लिये लोग बाजार में निकल गये। उस समय कई शहरों में हालत यह थी कि सुनारों की दुकानें रात के 12 बजे तक गुलजार दिखायी दी थी।

नोटबंदी के दूसरे दिन से ही लोग अपने पास पड़ी पुरानी करंसी को लेकर फिक्रमंद हो चले थे। सरकार ने कहा ​था कि नोटबंदी का फैसला कालाधन को खत्म करने, नकली करंसी को चलन से बाहर करने और आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिये लिया गया है। हालांकि यह पहला मौका नही था जब ​सरकार ने विमुद्रीकरण किया हो। इससे पहले जनवरी 1978 को 1000,500 और 10000 रूपये के नोटो का विमुद्रीकरण किया था।

विशेषज्ञों की नजर में नोटबंदी के फायदे

नोटबंदी के बाद मोबाइल बैंकिंग के जरिए लेनदेन का प्रतिशत काफी बढ़ा है। अक्टूबर 2016 में 1.13 लाख करोड़ रुपये का लेन देन हुआ था। वही अगस्त 2018 में 2.06 लाख करोड़ रुपये का लेन देन हुआ।
नोटबंदी के बाद कैशलेश ट्रांजैक्‍शन को भी काफी बढ़ावा मिला। सरकार इसे बढ़ी उपलब्धि मान रही है। जबकि आलोचकों का कहना है कि सरकार के कैश टांजेक्शन को हतोत्साहित करने के कारण यह उछाल आया है। कैश की कमी होने के कारण लोग डिजिटल ट्रांजैक्‍शन करने को मजबूर हुए और सरकार ने भी इसको बढ़ावा देने के लिये कई स्कीमें लांच की। हाल फिलहाल के आकड़ें से अक्टूबर में देश में कैशलेस ट्रांजैक्शन अभी तक के सबसे उच्च स्तर को पार कर गया है।
नोटबंदी के बाद होम लोन की ब्याज दरों में कुछ गिरावट आई है विशेषज्ञों को मानना है कि इन दरो में 3% तक की गिरावट आयी है। नोटबंदी के बाद बैंकोमें काफी बड़ी मात्रा में धनराशि जमा हुई जिसके बाद बैंकों ने होम लोन की दरो मे ​कमी की। नोटबंदी के बाद टैक्स रिटर्न भरने वालों की संख्या में भी भारी ​वृद्धि देखी गयी। 31 अगस्त 2017 में 3.17 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न दाखिल किये।वही 31 अगस्त 2018 तक 5.42 करोड़ लोगों ने रिटर्न दाखिल किये।

विशेषज्ञों की नजर में नोटबंदी के नुकसान

नोटबंदी की घोषणा करते समय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि इससे कालाधन खत्म होगा। लेकिन आकंड़ो की बात करे तो दो माह पूर्व ही रिजर्व बैंक ने बताया था कि 1000 और 500 के 99.30 प्रतिशत नोट बैंकों में वापस आ चुके है। कालेधन को लेकर सरकार का यह दावा गलत साबित हुआ है। वही जीडीपी दर 8 प्रतिशत से घटकर 5.7 प्रतिशत तक आ गई। छोटे उद्योग धंधे त​बाह होने से करोड़ो लोगों को अपने रोजगार से हाथ धोना पड़ा है। सकल मूल्य वर्धन 10.7 से 1.2 पर पहुंच गया है।

सालाना आधार पर विनिर्माण क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) भारी 1.2 प्रतिशत पर पहुचा। जबकि 1 वर्ष पहले इसी तिमाही में यह 10.7 प्रतिशत दर्ज किया गया था। एक अनुमान के अनुसार प्रत्यक्ष तौर पर नोटबंदी से 35 लाख लोगों की नौकरियों पर लात पड़ी है। और 1.5 करोड़ श्रम बल का नुकसान हुआ । देश की जीडीपी को 1.5 करोड़ का नुकसान हुआ। नई करंसी छापने में 8 हजार करोड़ खर्च हुए है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इस नोटबंदी पर सरकार पर हमला बोला। टवीट कर कहा गया कि नोटबंदी के बाद भाजपा की आया 8 गुजरात के भाजपा से संबंधित सहकारी बैंकों में 3,118.51 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा हुए। विपक्ष ने इसे आम जनता के लिये हमला बताते हुए वित्तीय आपातकाल की संज्ञा दी है। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था तबाही के रास्ते पर खड़ी हो गयी। कहा कि 2016 में बिना सोचे समझे लिये गये इस फैसले से काफी नुकसान हुआ है। बयान में कहा कि ‘ समय हर जख्‍म को भर देता है, लेकिन इस नोटबंदी के दो वर्ष निकल जाने के बाद भी इसके जख्म और ज्यादा ताजे हो रहे है।अर्थव्‍यवस्‍था पर काफी दुष्प्रभाव देखा गया है। वही देश के छोटे और मंझोले उद्योग इससे अभी तक नही उबर सके है।

IMG 20181104 WA0012