टमाटर भारतीय रसोई की सबसे अहम सब्जियों में से एक है। चाहे वह सब्जी में इस्तेमाल हो, सूप का स्वाद बढ़ाना हो या फिर सॉस का रंग और गाढ़ापन तय करना हो, टमाटर की भूमिका हर जगह नजर आती है। लेकिन बाजार में जो टमाटर लाल-लाल, चमकदार और बेहद ताजगी से भरपूर नजर आते हैं, क्या वो वाकई प्राकृतिक रूप से पके होते हैं? हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इस सवाल को और भी गंभीर बना दिया है।
वीडियो में एक किसान टमाटरों को एक कैमिकल मिले पानी में डुबोता नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि ये प्रक्रिया टमाटरों को जल्दी पकाने के लिए अपनाई जाती है। पहले खेतों से अधपके या कच्चे हरे टमाटर तोड़ लिए जाते हैं, फिर उन्हें एक रासायनिक घोल में डुबो दिया जाता है। इसके कुछ ही घंटों के भीतर टमाटर पूरी तरह लाल रंग के दिखने लगते हैं और लंबे समय तक सड़ते भी नहीं। लेकिन इस प्रक्रिया में जो रसायन इस्तेमाल किए जाते हैं, वे सेहत के लिए गंभीर खतरा बन सकते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि टमाटर पकाने के लिए आमतौर पर जिन कैमिकल्स का उपयोग होता है, उनमें एथिफॉन और कैल्शियम कार्बाइड प्रमुख हैं। ये दोनों ही रसायन शरीर के लिए जहरीले माने जाते हैं। इनका प्रभाव सीधा पाचन तंत्र पर पड़ता है और लंबे समय तक इनका सेवन करने से कैंसर, किडनी फेल होने की आशंका, त्वचा संबंधी रोग और न्यूरोलॉजिकल समस्याएं तक उत्पन्न हो सकती हैं। डॉक्टरों के अनुसार, ये कैमिकल्स शरीर में जाकर रक्त में मिलते हैं और धीरे-धीरे अंगों को नुकसान पहुंचाने लगते हैं। खासतौर पर बच्चों, गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों के लिए ये टमाटर बेहद खतरनाक साबित हो सकते हैं।
खास बात यह है कि ऐसे टमाटर देखने में बेहद आकर्षक लगते हैं। एक जैसे रंग, चमक और कसे हुए आकार वाले टमाटर ग्राहक को लुभाते हैं, लेकिन इनकी आड़ में जो जहर छिपा है, वह बेहद खतरनाक है।
फिलहाल स्वास्थ्य विशेषज्ञ यह सलाह दे रहे हैं कि टमाटर खरीदते समय बहुत ज्यादा लाल और एक जैसे दिखने वाले टमाटरों से बचना चाहिए। उन्हें अच्छे से धोकर ही इस्तेमाल में लाना चाहिए और यदि संभव हो तो कुछ देर गर्म पानी में भिगोकर रखना एक बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके अलावा स्थानीय किसानों से सीधे सब्जियां खरीदना और ऑर्गेनिक उत्पादों को प्राथमिकता देना भी एक सुरक्षित कदम माना जा रहा है।
यह मामला केवल टमाटर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़ी समस्या की ओर इशारा करता है—बढ़ती उपभोक्ता मांग और अधिक मुनाफे की चाह में खाद्य पदार्थों के साथ होने वाला यह खिलवाड़ हमारे स्वास्थ्य के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। ऐसे में जागरूकता और सतर्कता ही एकमात्र रास्ता है जिससे हम इस अदृश्य खतरे से खुद को और अपने परिवार को बचा सकते हैं।