नोएडा: जानिए आखिर कैसे समुद्र में तैरने वाला एक परफेक्ट स्विमर डूब गया स्विमिंग पूल में

नोएडा सेक्टर 16 स्थित एपीजे स्कूल के स्विमिंग पूल में संदीप परिस्थितियों में हुई चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत के मामले में अब 10 महीने बाद…

Screenshot 20240416 102446 Dailyhunt

नोएडा सेक्टर 16 स्थित एपीजे स्कूल के स्विमिंग पूल में संदीप परिस्थितियों में हुई चार्टर्ड अकाउंटेंट की मौत के मामले में अब 10 महीने बाद कोतवाली सेक्टर 20 में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है। मुकदमा कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुआ है। हालांकि 10 महीने बाद भी यह सवाल बना हुआ है कि समुद्र में तैरने वाले सीए निशांत कुमार (33) की मौत स्वीमिंग पूल में कैसे हो गई।

अब तक इस मामले में पुलिस किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है और अब पुलिस इसकी गहराई से जांच करेगी  मूल रूप से छपरा बिहार के रहने वाले जयप्रकाश ने कोर्ट में अर्जी दी थी और कहा था कि उनका बड़ा बेटा निशांत सेक्टर 44 के न्यू कमर्शियल बिल्डिंग में रहता था। निशांत के पास फिस्टो स्विमिंग क्लब की मेंबरशिप थी। 22 जून 2023 को सुबह 6:00 बजे के करीब व स्विमिंग करने गया था फिस्टो स्विमिंग क्लब की ओर से एपीजे स्कूल के स्विमिंग पूल में तैराकी कराई जाती है। निशान की यहीं पर 3 फीट गहरे पानी में डूब कर संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई।

पिता का आरोप है कि जब बेटे की 3 फीट गहरे स्विमिंग पूल में डूबने से मौत के बारे में पता चला तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। हादसे एक दिन पहले निशांत ने परिजनों से रात 9 बजे 36 मिनट बात की थी। इस दौरान निशांत ने परिजनों से बताया कि वह पूरी तरह से फिट है। अगले दिन सुबह 5:00 के करीब किसी अनजान व्यक्ति का कॉल निशांत के पास आया। इसके बाद वह 6:00 बजे स्विमिंग पूल चला गया। वहां जाकर उसकी मौत हो गई। उसकी मौत निजी अस्पताल में ले जाने से पहले ही हो चुकी थी।

गौतम बुद्ध नगर में ही निशांत का पोस्टमार्टम हुआ। गृह जनपद में उसका अंतिम संस्कार किया गया। युवक की मां बेटे की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकती और बीमार रहने लगी। निशांत का के पिता का दावा है कि उसका बेटा एक तर्क था वह समुद्र में कई बार तैराकी कर चुका था ऐसे में मैच 3 फीट पानी में वह कैसे डूब कर मर सकता है।

परिजनों के मुताबिक स्वीमिंग पूल का वीडियो प्राप्त करने के लिए उन्होंने कई बार एपीजे स्कूल प्रबंधन से संपर्क किया। अभी तक उन्हें वीडियो उपलब्ध नहीं कराया गया है। आरोप है कि स्थानीय थाने में भी शिकायत पर सुनवाई नहीं हुई थी। जिसके बाद उन्होंने न्यायालय की शरण ली।