देश में चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए 72 साल बाद भी कोई कानून नहीं: सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए 72 साल बाद भी कोई स्पष्ट…

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दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों के लिए 72 साल बाद भी कोई स्पष्ट कानून नहीं है। यह बात शीर्ष अदालत ने सीईसी की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते समय कही। इस पीठ में जस्टिस के एम जोसेफ, जय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सी टी रविकुमार भी शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि 2004 के बाद से किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त ने छह साल का कार्यकाल पूरा नहीं किया है। अपने छोटे कार्यकाल में वह कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की चुप्पी का फायदा उठाने और चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों को नियंत्रित करने वाले कानून की गैर-मौजूदगी को परेशान करने वाली प्रवृत्ति करार दिया है। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 324 का जिक्र किया जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के बारे में बात करता है और कहा कि यह ऐसी नियुक्तियों के लिए प्रक्रिया प्रदान नहीं करता है। इसके अलावा, इसने इस संबंध में संसद द्वारा एक कानून बनाने की परिकल्पना की थी, जो पिछले 72 वर्षों में नहीं किया गया है और केंद्र ने इसका दोहन किया है।

वहीं दूसरी ओर केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणि ने कहा कि वर्तमान प्रक्रिया जिसके तहत देश के राष्ट्रपति सीईसी और ईसी की नियुक्ति करते हैं, उसे असंवैधानिक नहीं कहा जा सकता है और अदालत इसे खत्म नहीं कर सकती है।