43 Nepali citizens walking on foot from Pithoragarh to Banbasa,no money to pay rent
कुंडल सिंह चौहान
बच्चों संग पिथौरागढ़ से पैदल बनबसा को निकले 43 लोग
पिथौरागढ़। कोरोना लाॅकडाउन के बीच प्रवासियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लोग निराश और बेबस होकर अपने घरों को लौट रहे है। इन प्रवासियों में चाहे वह उत्तराखंड के लोग हों, देशभर में फैले अन्य राज्यों के या फिर पड़ोसी देश नेपाल के नागरिक हों हालात का फायदा उठाने वाले लोगों की कमी भी नही है। लुटे-पिटे अंदाज में लोग बेबस होकर पैदल ही घरों की तरफ बढ़ रहे हैं।
गढ़वाल के कीर्तिनगर क्षेत्र से अपने घर नेपाल जाने के लिए पिथौरागढ़ पहुंचे 43 नेपाली नागरिक (Nepali citizens) इन्ही हालातों से दो-चार हो रहे हैं। चिलचिललाती धूप में पीठ तथा सिर पर बोझा लादे और अपने छोटे-छोटे बच्चों का हाथ थामे या उन्हें कंधे पर बैठाये ये लोग सोमवार को पिथौरागढ़ से पैदल ही बनबसा के लिए निकल पड़े।
हैरत कर देने वाली बात यह है कि कीर्तिगर से दो बसों में एक लाख 30 हजार रुपये किराया चुकाकर कर्णप्रयाग, थराली, ग्वालदम, बागेश्वर और अल्मोड़ा होते हुए ये लोग तीसरे दिन रविवार को पिथौरागढ़ पहुंचे। सोमवार को ये नेपाली नागरिक (Nepali citizens) विवश होकर अपने बच्चों के साथ डेढ़ सौ किलोमीटर से भी अधिक दूर बनबसा के लिए पैदल ही चल पड़े।
टनकपुर-पिथौरागढ़ रोड पर जिला मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर धमौड़ के पास मिले मनबहादुर और उसकी पत्नी बिष्नुमाया कपड़े बंधे व थैलों में रखे अपने सामान को ठीक करने के बाद फिर से आगे बढ़ने की तैयारी कर रहे थे। पूछा तो उन्होंने बताया कि सामान लादे पैदल ही बनबसा के लिए जा रहे हैं। उनके आधे किमी आगे आठ-दस, आठ-दस की संख्या में ये लोग अलग-अलग ग्रुप में चल रहे थे।
नेपाल के नेपालगंज, सुरखेत तथा सल्यान जिलों के निवासी इन लोगों को बनबसा बार्डर पार करने के बाद अपने गृह जिलों तक पहुंचने के लिए भी करीब 9 से 10 घंटे लगते हैं। इन नेपाली नागरिकों (Nepali citizens) ने बताया कि एसडीएम कीर्तिनगर कार्यालय से उनका पास पिथौरागढ़ जिले का बनाया गया। जिसके बाद दो बसों के जरिये वे रविवार शाम पिथौरागढ़ पहुंचे। यहां पहुंचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का 3025 रुपया किराया लिया गया। पिथौरागढ़ में इन सभी नेपाली नागरिक (Nepali citizens) का मेडिकल चेकअप किया गया।
बीर सिंह, खड्ग बहादुर ने बताया कि पिथौरागढ़ से बनबसा के लिए एक टैक्सी का 5 हजार किराया बताया जा रहा था। इतने लोगों के लिए उनको करीब 5-6 टैक्सियों की जरूरत पड़ती। चूंकि उनके पास अब थोड़ा ही पैसा बचा है, ऐसे में उन्होंने चार छोटे बच्चों व आठ महिलाओं के साथ ही पैदल ही निकलना बेहतर समझा। नेपाली नागरिकों का यह काफिला पैदल चलकर संभवतः बुधवार या गुरूवार तक बनबसा पहुंचेगा।
उधर धमौड़ में बाहर से आने प्रवासियों की व्यवस्था देख रहे एसडीएम तुषार सैनी का कहना था अगर कुछ व्यवस्था होती है तो देखते हैं।
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बहरहाल प्रशासन की तरफ से भी इनके जाने की कोई व्यवस्था नहीं हुई यह लोग अपने घरों की पहुंचने की जद्दोजहद में पैदल ही रवाना हो गयेहै। बुधवार या गुरूवार तक यह लोग बनबसा पहुंच सकेंगे। इसके बाद नेपाल में 9 से 10 घंटे के सफर के के बाद ही यह लोग अपनी माटी के पास लौटेगें।