National Himalayan Studies Mission’s 7th research scholars’ association concluded, a call to make research studies socially oriented
हिमालयी अनुसंधानों को समाजोन्मुखी बनाने के लिए युवा वैज्ञानिकों को और गंभीर प्रयास करने होंगे। यह बात राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के वैज्ञानिक एवं तकनीकी सलाहकार सलाहकार समूह के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे के0 गर्ग द्वारा शोधार्थी संघ के दौरान कही।
अल्मोड़ा, 01 नवंबर 2022— हिमालयी अनुसंधानों को समाजोन्मुखी बनाने के लिए युवा वैज्ञानिकों को और गंभीर प्रयास करने होंगे। यह बात राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के वैज्ञानिक एवं तकनीकी सलाहकार सलाहकार समूह के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. जे के0 गर्ग द्वारा शोधार्थी संघ के दौरान कही।
यहां गोंविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान, कोसी में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (National Himalayan Studies Mission)के तहत 7 वें हिमालयी शोधार्थी संघ आयोजित किया गया। प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन विषय केंद्रित इस अनुसंधान मंथन में संस्थान के निदेशक प्रो0 सुनील नौटियाल द्वारा इसे हिमालयी युवा शोधार्थियों के लिए एक बड़ा मंच बताया और कहा कि एनएमएचएस के माध्यम से वे अपने शोध और अनुसंधान कार्यों को व्यापक रूप दे सकते हैं ।
इस अवसर पर एनएमएचएस के नोडल अधिकारी इं0 किरीट कुमार ने बताया कि बीते 5 सालों से हिमालयी राज्यों में एनएमएचएस के माध्यम से 175 युवा शोधार्थियों को हिम-फैलोशिप दी गई। जैव विविधता संरक्षण, जल संरक्षण, कौशल विकास, हानिप्रद पदार्थों के प्रबंधन, आजीविका विकल्प सहित विभिन्न क्षेत्रों ने युवाओं ने उल्लेखनीय अनुसंधान कार्य किए हैं।
ये सभी अनुसंधान कार्य लगभग पूर्ण हो चुके हैं और बहुसंख्यक युवा शोधार्थियों ने हिमालयी राज्यों पर केंद्रित अनेक व्यापक प्रभाव वाले शोध कार्य किए हैं।
सोमवार देर शाम तक चले इस मूल्यांकन में आईआईटी रूड़की दिल्ली तकनीकी विश्वविद्यालय, गुरू गोविंद सिंह विश्वविद्यालय नई दिल्ली, सलूनी विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश, यूसर्ग देहरादून, सिक्किम मनिपाल विश्वविद्यालय, वेल्लूर तकनीकी संस्थान, आदि ने 15 युवा वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान कार्यों को का विश्लेषण किया गया।
मंत्रालय की संयुक्त सचिव सुश्री नमीता प्रसाद के संरक्षण में चले इस कार्यक्रम में कुमाऊ विश्वविद्यालय के प्रो0 बी0एस0 कोटलिया, पूर्व वैज्ञानिक डॉ एसके नंदी, भारतीय वन्यजीव संस्थान के वीपी उनियाल, जेडएसआई के डॉ. ललित कुमार शर्मा, आदि ने इन प्रस्तुतिकरणों का मूल्यांकन किया और अनुसंधान के उच्च मानकों को लागू करने के सुझाव भी युवाओं को दिए।
इस अवसर पर युवा वैज्ञानिकों ने भूकंपीय सुरक्षा, कृषि अपशिष्ट प्रबंधन, स्प्रिंगशेड मॉडलिंग, ग्लेश्यिरों के पिघलने, सतत् आवासीय प्रारूपों, हिमनद आधारित झीलों, प्रोबायोटिक्स, बांस आधारित उद्यमों की संभावना, औषधीय पौधों के संरक्षण, व गंगोत्री ग्लेश्यिर आदि क्षेत्रों में चल रहे अपनी अनुसंधान प्रगति से विषय विशेषज्ञों को अवगत कराया।
कार्यक्रम संयोजक एवं मंत्रालय से निदेशक रघु कुमार कोडाली ने कहा कि हिमालयी भू-भाग और समाज के लिए युवा वैज्ञानिकों को बड़े प्रयासों के साथ नवीन, क्षेत्रों में अनुसंधान चुनौतियों को लेना होगा।
विशेषज्ञों ने फील्ड में जाकर समाजोन्मुखी अनुसंधान करने वाले युवा वैज्ञानिकों के अनुसंधान कार्य को सराहा और युवा वैज्ञानिकों ने मौलिक अनुसंधान और मौलिक सोच के साथ कार्य करने का आह्वान किया। विशेषज्ञों ने शोध अवधि को बढ़ाने और संस्थानों के सम्मिलित व्यापक प्रभाव वाले अनुसंधान कार्यों को प्रोत्साहित करने का भी सुझाव दिया। संस्थान से डॉ वसुधा अग्निहोत्री, पुनीत सिराड़ी, इं0 सैयद, आर0 अली, जगदीश जोशी, आशीष जोशी, जगदीश चंद्र , आदि ने इस संगोष्ठी में प्रतिभाग किया।
अभिषेक यलोल्ला, अभिषेक बैहुत, विपिन कुमार सती, एश्वर्य आनंद एवं राधिका सूद, मीनाक्षी शर्मा, रोहित कुमार नड्डा, निदा रिजवी, निधि चिल्लर, गोपीनाथ रोंगाली, पूनम विश्वास, शिवी राजाराम, संदीप गिरौला, निशांत सक्सेना, राजीव रंजन और शिवानी चौहान आदि शोधार्थियों ने इस संगोष्ठी में अपनी प्रस्तुतियां दी।