वीपीकेएएस के निदेशक को राष्ट्रीय कृषि अकादमी फैलोशिप,वैज्ञानिक डाॅ. जे0 स्टेनले,डाॅ. विजय सिंह मीना को भी मिला सम्मान

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National Agricultural Academy Fellowship to the Director of VPKAS, Scientist Dr. J. Stanley, Dr. Vijay Singh Meena also received the honorवीपीकेएएस

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अल्मोड़ा,19 अगस्त2020— भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान(वीपीकेएएस) अल्मोड़ा के निदेशक डा. लक्ष्मी कान्त को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी नई दिल्ली की 27वीं वार्षिक बैठक में प्रतिष्ठित अकादमी की फैलोशिप प्रदान की गयी। उन्हें फैलो के रूप में अकादमी में शामिल किया गया।

ज्ञात हो कि राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी का भारत में कृषि अनुसंधान के क्षेत्रा में सर्वोच्च अकादमी है, जिसकी प्रतिष्ठता विश्व विख्यात है। कृषि विज्ञान से सम्बन्धित 9 विषय के कुल 34 फैलो जिसमें 4 विदेशी/प्रवासी फैलो भी शामिल हैं,को इस वर्ष अकादमी में शामिल किया गया है।अकादमी के आनलाइन कार्यक्रम में 13 अगस्त को यह फैलोशिप प्रदान की गयी।(वीपीकेएएस)

डाॅ. लक्ष्मी कान्त को यह फैलोशिप उनके द्वारा गेहूँ तथा जौ में किये गये शोध के फलस्वरूप गेहूँ की 11 उन्नत रोगरोधी तथा जौ की 05 उन्नत रोगरोधी प्रजातियों के विकास के लिए दिया गया।

उल्लेखनीय है कि किसानों के खेतों पर किये गये विभिन्न प्रदर्शनों में देखा गया है कि यह प्रजातियाँ उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में 30-40 प्रतिशत तक उत्पादकता वृद्धि में सक्षम हैं। इन प्रजातियों में गेहूं की द्विउद्देश्यीय हरा चारा एवं दाना देने वाली प्रजाति वी0एल0 गेहूँ 829, देर से बुवाई हेतु वीएल गेहूँ 892 एवं समय से बुवाई हेतु वी0एल0 गेहूँ 907 प्रजातियाँ प्रमुख रूप से उल्लेखनीय हैं।
इनका मुख्य शोध शीतकालीन गेहूँ के वांछित गुणों को प्रजनन के द्वारा अनुक्रमण बसन्तकालीन गेहूँ में करने में रहा है।(वीपीकेएएस
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यहाँ यह भी बताना महत्वपूर्ण है कि पूरे देष में भाकृअनुप- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में ही शीतकालीन गेहूं का सर्वाधिक 3454 जननद्रव्य है, फलस्वरूप भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान को शीतकालीन गेहूं का नेशनल रजिस्टर भी माना जाता है।(वीपीकेएएस)


उल्लेखनीय है कि डा0 लक्ष्मी कान्त ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान,अल्मोड़ा में कार्य करते हुये यह सम्मान प्राप्त करने वाले प्रथम वैज्ञानिक हैं। अभी तक डाॅ. लक्ष्मी कान्त के 64 से अधिक शोधपत्रा विभिन्न अन्तर्राष्ट्रीय तथा राष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाषित हो चुके हैं। इस अवसर पर डाॅ. त्रिलोचन महापात्रा, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं षिक्षा विभाग, एवं महानिदेषक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष ने डा0 लक्ष्मी कान्त की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।
(वीपीकेएएस)

वीपीकेएसएस के वैज्ञानिक डा. स्टेनले व मीना को भी मिला एसोसिएट सम्मान

इधर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान सस्थान, अल्मोड़ा के वैज्ञानिक डाॅ. जे0 स्टेनले (वर्तमान में भारतीय कदन्न अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद) तथा वैज्ञानिक डाॅ. विजय सिंह मीना को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी नई दिल्ली की 27 वीं वार्षिक आनलाइन बैठक में युवा वैज्ञानिकों द्वारा कृषि के क्षेत्रा में उल्लेखनीय शोध कार्यों हेतु प्रतिष्ठित अकादमी द्वारा दिनांक 13 अगस्त को राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी के एसोशिएट के रूप में अकादमी में शामिल किया गया।(वीपीकेएएस)


डा0 जे. स्टेनले को यह सम्मान फसल सुरक्षा विज्ञान के क्षेत्रा में तथा डाॅ. विजय सिंह मीना को यह सम्मान उनके द्वारा मृदा विज्ञान के क्षेत्रा में उल्लेखनीय शोध कार्यों हेतु हेतु प्रदान किया गया। इस अवसर पर डाॅ. त्रिलोचन महापात्रा, सचिव, कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग, एवं महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अकादमी के वर्तमान अध्यक्ष ने डा0 जे. स्टेनले तथा डाॅ. विजय सिंह मीना की इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी है।

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