Nasha nahi rojgar do andolan
अल्मोड़ा, 02 फरवरी 2022- नशा नहीं रोजगार दो(Nasha nahi rojgar do) आंदोलन की 38 वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने माफियामुक्त, नशामुक्त उत्तराखंड के साथ रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने की मांग की गई।
कार्यक्रम में जनगीतों के माध्यम से माफियराज के खिलाफ संघर्ष जारी रखने का फैसला लिया गया।
इस मौके पर Nasha nahi rojgar do आंदोलन के संयोजक पी.सी. तिवारी ने कहा कि नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन पिछले चार दशकों से उत्तराखंड, देश की चेतना व संघर्ष को नई चेतना दे रहा है।
चौखुटिया के बसभीड़ा में आयोजित इस आंदोलन की 38वीं वर्षगांठ पर अपने संबोधन में तिवारी ने आंदोलन की पृष्ठभूमि आंदोलन में शामिल तमाम लोगों को याद करते हुए कहा कि इस आंदोलन ने उत्तराखंड को सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से गहराई से प्रभावित किया और यह आज भी देश व दुनिया की दो बड़ी समस्याओं नशा और बेरोजगारी की ओर सरकार और समाज का ध्यान आकर्षित कर रहा है।
कार्यक्रम में अपनी बात रखते हुए जाने माने रंगकर्मी पत्रकार नवीन जोशी ने कहा कि 38 वर्ष तक किसी आंदोलन की ज्योति को जलाए रखना एक बड़ी तपस्या है जिसके लिए आंदोलन सफल रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार जगदीश जोशी ने कहा कि नशा नहीं रोजगार (Nasha nahi rojgar do)दो आंदोलन ने देश और दुनिया में जो उदाहरण पेश किया वो अनुकरणीय है।
महिला एकता परिषद की नेत्री मधुबाला कांडपाल ने कहा कि नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन ने उत्तराखंडी समाज में लगभग सभी स्थितियों को बदलने की दिशा दी है।
सुरईखेत से आए प्रमुख आंदोलनकारी महेश फुलेरा ने कहा कि यह आंदोलन समाज में रचना व प्रतिरोधी ताकतों के खिलाफ एलानीय विद्रोह का प्रतीक है।
इस सभा की अध्यक्षता करते हुए जन आंदोलन के नेतृत्वकारी रहे मदन लाल ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि आंदोलन को याद करते रहने से समाज में बदलाव स्वतः गतिशील होगा।
कार्यक्रम का संचालन उपपा के जिला उपाध्यक्ष प्रकाश जोशी ने किया।
कार्यक्रम में बसभीड़ा के पूर्व प्रधान नीरज तिवारी, जगदीश ममगई, कैलाश चौधरी, नंदन सिंह, सुभाष सिंह किरौला, दीपा तिवारी, प्रदीप फुलेरा, मोहन सिंह किलौरा, राजेंद्र सिंह किलौरा, मदन चंद्र पांडे, कृपाल राम, कमल राम, चिंताराम तिवारी समेत अनेक लोग शामिल थे।