दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के आरोपों में जेल में बंद नैनीताल दुग्ध संघ अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा को मिली जमानत

नैनीताल जिले के लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा, जो दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के गंभीर आरोपों में पिछले डेढ़ साल से जेल…

नैनीताल जिले के लालकुआं दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश सिंह बोरा, जो दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के गंभीर आरोपों में पिछले डेढ़ साल से जेल में बंद थे, को आखिरकार हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। हालांकि, अदालत ने उनकी रिहाई के लिए कुछ कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। यह मामला 2021 की घटनाओं से जुड़ा हुआ है, जब एक विधवा महिला नौकरी की तलाश में नैनीताल दुग्ध संघ पहुंची थी। महिला ने आरोप लगाया कि संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा ने उसे स्थायी नौकरी देने का वादा किया और इस बहाने उसे काठगोदाम के एक होटल में बुलाया, जहां उन्होंने उसके साथ जबरदस्ती की।

पीड़िता के अनुसार, आरोपी ने घटना के आपत्तिजनक फोटो और वीडियो बना लिए और उसे धमकी दी कि यदि उसने इस घटना के बारे में किसी को बताया तो वह इसे सार्वजनिक कर देगा और उसकी अस्थायी नौकरी भी छीन लेगा। पीड़िता ने दावा किया कि 26 दिसंबर 2021 को आरोपी ने उसे दोबारा होटल में बुलाया और फिर से दुष्कर्म किया। इसके अलावा, आरोपी पर यह भी आरोप है कि उसने पीड़िता को अपने कुछ साथियों के साथ संबंध बनाने के लिए दबाव डाला और जब उसने इनकार किया तो उसे धमकाया गया। सबसे गंभीर आरोप यह है कि आरोपी ने पीड़िता की नाबालिग बेटी का भी यौन उत्पीड़न किया, जिसके चलते उनके खिलाफ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया।

न्यायालय में बचाव पक्ष ने दलील दी कि यह मामला 2021 का है, लेकिन पीड़िता ने 2024 में इसकी रिपोर्ट दर्ज कराई, जिससे आरोपों की सत्यता पर संदेह होता है। बचाव पक्ष ने यह भी कहा कि पीड़िता के बयान लगातार बदलते रहे हैं, जिससे यह स्पष्ट नहीं होता कि क्या वास्तव में ऐसा कोई अपराध हुआ था। दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं और उन्होंने जांच में कोई सहयोग नहीं किया।

दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने का फैसला किया, लेकिन इसके लिए कई शर्तें रखीं। अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी को जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग करना होगा और वह बिना अनुमति के देश नहीं छोड़ सकता। साथ ही, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आरोपी को पीड़िता या उसकी नाबालिग बेटी से किसी भी प्रकार का संपर्क नहीं साधना होगा और न ही उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करनी होगी। न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि आरोपी के पास पासपोर्ट है तो उसे तुरंत न्यायालय में जमा करना होगा।

इस फैसले के बाद, मुकेश सिंह बोरा को व्यक्तिगत मुचलके और दो विश्वसनीय जमानतदारों की गारंटी पर रिहा किया जाएगा। हालांकि, मामला बेहद संवेदनशील होने के कारण, अदालत की शर्तों का सख्ती से पालन किया जाना जरूरी होगा। यदि आरोपी किसी भी शर्त का उल्लंघन करता है, तो उसकी जमानत रद्द की जा सकती है और उसे दोबारा जेल भेजा जा सकता है।

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