नहीं रहे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र सनवाल

नोयडा में ली अंतिम सांस, अल्मोड़ा में शोक की लहर अल्मोड़ा। समाजवादी विचारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व वयोवृद्ध पत्रकार देवेंद्र सनवाल का ​निधन हो गया है|…

नोयडा में ली अंतिम सांस, अल्मोड़ा में शोक की लहर

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अल्मोड़ा। समाजवादी विचारक, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी व वयोवृद्ध पत्रकार देवेंद्र सनवाल का ​निधन हो गया है| 94 वर्षीय सनवाल ने नोयडा में मंगलवार को अंतिम सांस ली| वह अपने भतीजे ललित सनवाल के साथ नोयडा में रहते थे|
स्वर्गीय सनवाल के लिए अल्मोड़ा कर्मभूमि रही वह लंबे समय तक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में कार्यरत रहे| स्वतंत्रा सेनानी के साथ ही वह प्रमुख समाजवादी चिंतक, पत्रकार, लेखक व सामजिक कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते थे। उनके भीतर बाल्यकाल से ही समाज व देश सेवा की ललक थी। 1939 में मेरठ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भाषणों से वह इतना प्रभावित हुए कि स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े।वह लोहिया के समाजवाद से प्रेरित रहे और जीवनभर इस विचारधारा पर अडिग रहे| आजादी के बाद देश की हालत व राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता में कमी को लेकर वह हमेशा चिंतित रहे| 10 अगस्त 1942 में अन्य सेनानियों के साथ लैंसडौन में गिरफ्तार हुए तथा डेढ़ वर्ष की अवधि तक बिजनौर जिला जेल में नजरबंद रहे। सनवाल गढ़वाल लैंसडौन कांग्रेस कमेटी के मंत्री भी रहे। 1949 में इन्होंने कांग्रेस की सदस्यता और मंत्री पद से त्याग पत्र दे दिया। 1951 में अल्मोड़ा आकर जिला सोशलिस्ट पार्टी के सक्रिय पदों पर रहे। कई बार समाजवादी आंदोलनों के दौरान अल्मोड़ा जेल में भी बंद रहे। डॉ. लोहिया के समाजवादी विचारों से वह प्रभावित रहे। लाहिया के विचारों के प्रति उनका समर्पण अंतिम समय तक रहा। उनका लेखन हमेशा आम और गरीब परिवेश से जुड़े लोगों पर केन्द्रित रहा| अल्मोड़ा में होटल शिखर के मालिक स्वर्गीय जगत सिंह बिष्ट के परिवार के साथ उनका पारिवारिक रिश्ता रहा, यहीं से वह ताऊजी नाम से भी प्रसिद्ध हुए, पिछले वर्ष तक वह अल्मोड़ा में उन्हीं के परिवार के साथ थे| पत्रकारों सामाजिक कार्यकर्ताओं व राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने गहरा शोक जताया है|