सोर घाटी में विश्वविद्यालय स्थापना की मांग को लेकर आंदोलन शुरू

पिथौरागढ़। सीमान्त जिले पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग को लेकर सोमवार को छात्र-छात्राओं ने आंदोलन की शुरूआत करते हुए एलएमएस राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय…

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पिथौरागढ़। सीमान्त जिले पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग को लेकर सोमवार को छात्र-छात्राओं ने आंदोलन की शुरूआत करते हुए एलएमएस राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में कक्षाओं का बहिष्कार किया। इसके बाद छात्र-छात्राओं ने कलक्ट्रेट में प्रदर्शन किया। इस दौरान आयोजित एक आम सभा में विश्वविद्यालय स्थापना आंदोलन को यूकेडी नेता काशी सिंह ऐरी समेत विभिन्न पार्टियों, संगठनों, वकीलों और सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने समर्थन दिया। कहा गया कि विश्वविद्यालय के लिए अब आंदोलन लगातार तेज किया जाएगा। इस संबंध में एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री को भेजा गया।

छात्रों ने किया कक्षाओं का बहिष्कार कलक्ट्रेट में भी किया प्रदर्शन


पिथौरागढ़। पिथौरागढ़ में विश्वविद्यालय की स्थापना किये जाने को लेकर महाविद्यालय छात्रसंघ और पूर्व छात्र नेताओं की ओर से पिछले कुछ दिनों जागरूकता अभियान चलाते हुए जनसमर्थन जुटाया जा रहा था। सोमवार को आंदोलन की शुरुआत करते हुए छात्रसंघ अध्यक्ष राकेश जोशी व अन्य के नेतृत्व में छात्र-छात्राओं ने पहले पिथौरागढ़ महाविद्यालय में कक्षाओं का बहिष्कार किया। जिसके बाद छात्र जुलूस की शक्ल में कलक्ट्रेट परिसर स्थित धरनास्थल पहुंचे। जहां विभिन्न संगठनों, पार्टी नेताओं व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कहा कि विश्वविद्यालय स्थापना आंदोलन को हर तरह से समर्थन दिया जाएगा।


पिथौरागढ़। सभा को संबोधित करते हुए यूकेडी के वरिष्ठ नेता काशी सिंह ऐरी ने कहा कि छात्र-युवाओं को आज आंदोलन की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि वर्तमान प्रदेश नेतृत्व उनकी मांगों को पूरा करने में अक्षम है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय स्थापना के लिए युवाओं को उत्तराखंड आंदोलन की तरह अपनी जायज मांग पर दृढ़ रहने की जरूरत है। उन्होंने आंदोलन का भविष्य में भी पूरी तरह साथ देने की बात कहते हुए युवाओं से जमीनी स्तर पर इसे मजबूत करने का आह्वान किया। व्यापार संघ अध्यक्ष शमशेर महर ने कहा कि सीमान्त क्षेत्र की हमेशा उपेक्षा होती रही है, जिसके खिलाफ संघर्ष की जरूरत है और इसमें वह युवाओं के साथ हैं। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष और जनमंच संयोजक भगवान रावत ने कहा कि 1972 में आगरा विवि से अलग किये जाने की मांग को लेकर पहाड़ में जो आंदोलन चला उसमें पिथौरागढ़ के दो छात्र-युवा शहीद हुए थे। इसके बावजूद इस सीमान्त क्षेत्र की उपेक्षा होती रही। उसके बाद 1992 में पिथौरागढ़ को कैंपस का दर्जा दिये जाने और 2011 से केंद्रीय विश्वविद्यालय की लगातार मांग की जाती रही, लेकिन बीती सरकारों ने सभी बातों को दरकिनार कर दिया।

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सभा को संबोधित करते यूकेडी नेता ऐरी

13 को बनेगी अगली रणनीति


पिथौरागढ़। इस दौरान बताया गया कि आंदोलन को तेज करने के लिए अगली रणनीति बनाने को 13 फरवरी को व्यापार संघ भवन में 11 बजे से एक बैठक का आयोजन किया जाएगा जिसमें सभी संगठनों व समाज के सभी तबकों के लोगों को आमंत्रित किया गया है।

इसके बाद प्रदर्शनकारी डीएम से मिलने पहुंचे जहां जिलाधिकारी विजय जोगदंडे के ज्ञापन लेने बाहर नहीं आने पर काफी देर तक नारेबाजी होती रही। इस दौरान कलक्ट्रेट पहुंचे वकीलों ने भी विश्वविद्यालय आंदोलन को अपना समर्थन दिया। जिसमें बार संघ अध्यक्ष मोहन चंद्र भट्ट, वरिष्ठ वकील निर्मल चौधरी, मनोज ओझा समेत अनेक अधिवक्ता शामिल थे। इसके बाद मांगों से संबंधित मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया।

सभा को पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष महेंद्र रावत, राकेश जोशी, आम आदमी पार्टी नेता भूपेश जोशी, सामाजिक कार्यकर्ता मनोज कुमार जोशी, युकां जिलाध्यक्ष ऋषेंद्र महर, सहित अनेक लोगों ने संबोधित किया। इस मौके पर कांग्रेस जिलाध्यक्ष त्रिलोक सिंह महर, दीनू तिवारी, एबीवीपी नेता दीपक लोहिया व योगी पांडेय, आरंभ के दीपक कापड़ी, नूतन, चेतना, मुकेश चंद और किशोर सहित अनेक छात्र-युवा मौजूद थे।