मातृभाषा दिवस विशेष- कुमाऊनी बोली और संस्कृति को सामने रख रची गयी हैं फाल्गुनी फुहारें

चंपावत। मातृभाषा दिवस पर चंपावत जनपद के जगदंबा कलोनी चांदमारी लोहाघाट से प्रकाशित होने वाली वार्षिक सांस्कृतिक पुस्तक फाल्गुनी फुहारें का जिक्र लाजमी है। फुहारें…

Mother Language Day Special Falguni sprays have been made

चंपावत। मातृभाषा दिवस पर चंपावत जनपद के जगदंबा कलोनी चांदमारी लोहाघाट से प्रकाशित होने वाली वार्षिक सांस्कृतिक पुस्तक फाल्गुनी फुहारें का जिक्र लाजमी है। फुहारें पुस्तक श्रृंखला में यहां पर्वतीय क्षेत्रों में गये जाने वाले अनेक भजन, गीत, लोकगीत और होली के गीतों का संकलन किया जा रहा है।

बताते चलें कि अब तक चार अलग अलग स्वरचित और संकलित रचनाओं को पिरोकर प्रकाशित इस पुस्तक में पहाड़ की लगभग सांस्कृति झलक देखने को मिलती है। संकलनकर्ता हिमानी गहतोड़ी और उनके पति ललित मोहन गहतोड़ी फुहारें प्रकाशन के तहत होली एवं भजन आदि की सांस्कृतिक पुस्तक प्रकाशन का कार्य कर रहे हैं

फुहारें पुस्तक के संपादक ललित मोहन गहतोड़ी ने बताया कि उन्होंने कुमाऊनी संस्कृति को ध्यान में रखते हुए फुहारें श्रृंखला के तहत अब तक चार एडिशन प्रकशित कर दिए हैं। प्रत्येक पुस्तक के प्रकाशन पर उन्हें लोगों का काफी सहयोग मिला है। कहना है कि वह जल्द ही कुमाऊनी संस्कृति पर आधारित वसंत फुहारें नाम से पांचवां विशेषांक प्रकाशित करने जा रहे हैं। जिसके प्रकाशन हेतु प्रत्येक वर्ष की तरह एक बार फिर संकलन कार्य जारी है।

होली गायन में प्रकाशित पुस्तकों का योगदान

गांवों में लोग आज भी भजन आदि गायन के लिए हाथों में डायरियां लिए होते हैं। इन डायरियों का संकलन धीरे धीरे पुस्तकों के रूप में प्रकाशित होकर सामने आता जा रहा है। इन दिनों बाजार में भजन, होली और लोकगीतों की पुस्तकें एक बार फिर आसानी से बाजार में उपलब्ध हैं। इन प्रकाशित पुस्तकों के माध्यम से लोगों को भजन, गीत, लोकगीत और होली गायन में सहायता मिल रही है।