देश में 90 लाख से अधिक लोगों में अनुवांशिक बीमारी का खतरा,वैज्ञानिकों ने जीनोम जीनोम अध्ययन के बाद किया दावा

भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वस्थ लोगों में भविष्य की बीमारियों की जीनोम विज्ञान के जरिए पहचान करने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने करीब एक…

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भारतीय वैज्ञानिकों ने स्वस्थ लोगों में भविष्य की बीमारियों की जीनोम विज्ञान के जरिए पहचान करने में सफलता हासिल की है। वैज्ञानिकों ने करीब एक हजार से अधिक लोगो में जीनोम अध्ययन के बाद दावा किया है कि देश में 90 लाख से ज्यादा लोगो को अनुवांशिक बीमारी का खतरा है। जिसको हाइपर कोलेस्ट्रॉल लेमिया कहते है। यह वंशानुगत बदलावों के चलते कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देती है। इसलिए इसको पुश्तैनी या खानदानी विकार भी कहा जाता है।

एसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जिनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी के शोधकर्ताओं ने 1029 स्वस्थ्य लोगो के जीनोम पर अध्ययन किया है, जिसको मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित किया है। अध्ययन के दौरान शोधकर्ताओं ने 1,029 लोगों में पांच करोड़ से भी अधिक जीनोम वैरियंट की पहचान की है।

हाइपरकोलेस्ट्रोलिमी बीमारी मरीज के रक्त में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ा देती है। जो कि हृदय रोग और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ा देती है। भारत में 90 लाख से ज्यादा लोगो को एफएच विकसित होने का खतरा है। जिसको प्रभावी ढंग से रोकने के लिए उचित उपचार विकल्पो पर विचार करना होगा।

जिन लोगों के परिवार में हार्ट अटैक या फिर स्ट्रोक का कोई मामला रहा हो और उस व्यक्ति की आयु 55 वर्ष या उससे कम रही हो। जिनमें आंख, घुटने या कोहनी में कोलेस्ट्रॉल जमा होने की शिकायत हो। इस स्थिति को जैंथोमास भी कहा जाता है। बच्चो में एलडीएल कोलेस्ट्रॉल का स्तर 160 और वायस्को में 190 से अधिक रहता है तो उनमें एफएच की आशंका हो सकती हैं।