उत्तराखंड में 600 से अधिक पुलिसकर्मियों के हुए तबादले, 14 इंस्पेक्टर और 100 दरोगा भी है शामिल

बताया जा रहा है की गढ़वाल रेंज में 600 से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों के तबादले किए गए हैं। तबादला सत्र में गढ़वाल रेंज में 600…

More than 600 policemen were transferred in Uttarakhand, including 14 inspectors and 100 sub-inspectors

बताया जा रहा है की गढ़वाल रेंज में 600 से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों के तबादले किए गए हैं। तबादला सत्र में गढ़वाल रेंज में 600 से अधिक पुलिसकर्मियों के तबादले किए गए हैं। इसमें 14 इंस्पेक्टर 100 दरोगा 225 कांस्टेबल ,5 एएसआई और 200 से ज्यादा कांस्टेबल शामिल हैं। पहाड़ और मैदान में तैनाती की अवधि पूरी होने के बाद इन सभी कर्मचारियों को ट्रांसफर किया जाता है।

इस ट्रांसफर को लेकर बहुत से पुलिसकर्मी अब सवाल भी उठा रहे हैं लेकिन बताया जा रहा है कि यही लास्ट लिस्ट है। आपको बता दे की ट्रांसफर के लिए कावड़ मेला समाप्त होने का इंतजार किया जा रहा था। अब कावड़ मेला लगभग समाप्त होने वाला है। इसी वजह से आईजी गढ़वाल रेंज ने तबादले की लिस्ट जारी कर दी है।

इस सूची में इंस्पेक्टर राकेश गुसाईं को देहरादून से उत्तरकाशी, संजय कुमार को दून से चमोली, कैलाश चंद भट्ट को दून से पौड़ी, प्रदीप राणा को दून से चमोली, ऐश्वर्य पाल को हरिद्वार से चमोली, राजीव रौथाण को हरिद्वार से चमोली, रमेश सिंह को हरिद्वार से चमोली, भावना कैथोला को हरिद्वार से रुद्रप्रयाग, कुंदर सिंह राणा को हरिद्वार से पौड़ी औरहरिद्वार से ही सूर्यभूषण नेगी को पौड़ी भेजा गया है। इसके अलावा तीन इंस्पेक्टर का अनुकंपा के आधार पर भी ट्रांसफर किया गया है।

इनमें सदानंद पोखरियाल को रुद्रप्रयाग से टिहरी, जयपाल नेगी को टिहरी से पौड़ी और संतोष सिंह कुंवर को उत्तरकाशी से दून भेजा गया है। इस ट्रांसफर की लिस्ट जारी होने के बाद सभी जनपदों में बहुत से थानेदारों को भी शामिल किया गया है। जिला स्तर पर ट्रांसफर पाने वाले कर्मचारियों को रिलीव होने के बाद ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

इस सूची में 100 दरोगा भी शामिल है और 225 से भी ज्यादा कांस्टेबल का तबादला हुआ है। इसमें पांच एएसआई और 200 सिपाही शामिल हैं।

इन सभी को पहाड़ से मैदान की तरफ ट्रांसफर किया गया है जबकि कई लोगों को मैदान से पहाड़ की ओर भेजा गया है। लिस्ट जारी होने के बाद फिर से सभी सिफारिश लगवा रहे हैं अब देखना है कि कितने कर्मचारी मैदान से पहाड़ पर जाते हैं और कितने सिफारिश में सफल होते हैं।