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बड़ी खबर — उत्तराखण्ड में मिड डे मील( Mid-Day-Meal) का कच्चा राशन और लागत के भुगतान के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जबाब

Newsdesk Uttranews
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uttarakhand high court file photo

Uttarakhand High Court sought an answer from the government regarding the payment of raw ration and cost of Mid-Day-Meal

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नैनीताल। लॉक डाउन के दौरान बच्चों के मिड डे मील ( Mid-Day-Meal) का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार के मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय द्वारा 20 मार्च व 28 अप्रैल को देश के सभी राज्यों को शासनादेश जारी कर लॉकडाउन व ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान कक्षा एक से आठ तक के सभी बच्चों को मध्यान्ह भोजन ( Mid-Day-Meal)अथवा कच्चा राशन तथा खाना पकाने की लागत का भुगतान करने को कहा था।

केंद्र सरकार ने सरकारी स्कूलों व सहायता प्राप्त स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा एक से पांच तक के बच्चों के लिए 4.97 रुपये खाना पकाने की लागत का मूल्य तथा 100 ग्राम अनाज प्रतिदिन व कक्षा छह से आठ तक के बच्चों के लिए 7.45 रूपये प्रतिदिन तथा 150 ग्राम राशन देने का आदेश दिया था। उक्त आदेश 20 मार्च से 30 जून तक के लिए जारी किया गया है। उत्तराखंड में सात लाख से अधिक बच्चे मिड डे मील ( Mid-Day-Meal)योजना के दायरे में आते हैं।

समाजवादी लोक मंच का कहना है कि उसके पास कई जगहों से तरह की लिखित शिकायते आई है कि इस आदेश का पालन सही तरीके से नही किया जा रहा है।

आरोप है कि उत्तराखंड के ज्यादातर स्कूलों में इस शासनादेश को ठीक ढंग से लागू करने की जगह मनमाने तरीके से किया गया। यहां त​क कि बच्चों को नियमानुसार राशन के मुकाबले कम राशन वितरित किए जाने के मामले सामने आए हैं। तथा खाना बनाने की लागत के मूल्य का भुगतान में भी मनमानी की गयी है।

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आरोप है कि खाना पकाने की लागत का मूल्य उत्तराखंड में कई स्थानों पर बैंक खातों में ट्रांसफर करने की जगह नकद भुगतान व कम भुगतान करने के मनमाने तरीके अपनाए गए हैं।कई स्थानों पर तो बच्चों को न तो राशन मिला है, और न ही उन्हें खाना पकाने के लागत के मूल्य का भुगतान किया गया है।

बता दे कि उत्तराखंड के 17 हजार से अधिक स्कूलों के कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को लॉक डाउन व गर्मियों की छुट्टी के दौरान मिड डे मील ( Mid-Day-Meal) का कच्चा राशन व खाना पकाने की लागत, का भुगतान किए जाने, के मामले को लेकर एक याचिका उत्तराखंड हाईकोर्ट में दायर की गई है।

समाजवादी लोक मंच के मदन सिंह मेहता व हल्द्वानी के पत्रकार संजय रावत द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार से इस विषय पर दो दिन के भीतर स्टेस्ट रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।


उच्च न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकार को 2 दिन के भीतर न्यायालय में
स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है। अब इस मामले पर 24 जून को पुनः सुनवाई होगी।

हाईकोर्ट में समाजवादी लोक मंच द्वारा दायर इस मामले की पैरवी दिल्ली हाईकोर्ट के वकील कमलेश कुमार ने की। अब 24 जून को सरकार ने इस पर स्टेटस रिपोर्ट देनी है।

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