देश में जल्दी कैंसर, डायबिटीज और हार्ट संबंधी रोगों की दवाओं के दाम बढ़ाने वाले हैं। सरकारी नियंत्रण वाली इन दावों की कीमत में 1.7% की बढ़ोतरी होने वाली है।
बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार की ओर से दावों की कीमत बढ़ाने का असर दो से तीन महीने बाद देखने को मिल सकता है क्योंकि 90 दोनों का स्टॉक पहले से ही रहता है।
बताया जा रहा है कि ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट्स (AIOCD) के महासचिव राजीव ने इसे लेकर जानकारी दी है। उन्होंने कहा, “कच्चे माल और अन्य खर्चों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के कारण यह निर्णय लिया गया है। इससे फार्मा इंडस्ट्री को राहत मिल सकती है।”
रसायन और उर्वरक संबंधी संसद की एक स्थाई समिति के अनुसार फार्मा कंपनियों पर कई बार दवाओं के दाम बढ़ने और नियम उल्लंघन का आरोप लगा है। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) एक रेगुलेटरी बॉडी है, जो दवाओं की कीमतें तय करती है।
एनपीपीए के अनुासर 307 मामलों में फार्मा कंपनियों ने नियम तोड़े हैं।NPPA ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर (DPCO), 2013 के तहत दवाओं की अधिकतम कीमत निर्धारित करता है। सभी दवा निर्माताओं और विक्रेताओं को इस तय कीमत (जीएसटी सहित) के भीतर ही दवा बेचने का निर्देश दिया गया है।
इस साल के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 36 लाइफ सेविंग ड्रग्स से कस्टम ड्यूटी हटाने का ऐलान किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था कि कैंसर, रेयर डिजीज और अन्य गंभीर क्रोनिक डिजीज से पीड़ित मरीजों को राहत देने के लिए सरकार ने 36 लाइफ सेविंग दवाओं से बेसिक कस्टम ड्यूटी (BCD) पूरी तरह हटाने का फैसला किया है।